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February 8, 2025
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Bollywood

गुंजन सक्सेना-द करगिल गर्ल रिव्यू – शानदार कहानी-बेहतरीन अदाकारी

वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा) फिल्म में गुंजन सक्सेना का लाईफ का बहुत ही खूबसूरती से पर्दे पर उभारा गया है। फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है गुंजन सक्सेना के उन दिनों से जब एक पायलट बनने का सपना अपनी आंखों में संजोए दुनिया की बातों को इग्नोर मारते हुए मेहनत करती रहती हैं। हालांकि इस दौरान उन्हें अपने पिता का भरपूर सहयोग मिलता है। फिल्म में एक्टर पंकज त्रिपाठी उनके पिता का किरदार निभा रहे हैं। फिल्म में जाह्नवी कपूर और पंकज त्रिपाठी के बीच बाप-बेटी के तौर पर जुगलबंदी काफी शानदार दिखाई गई है। गुंजन अपनी पढ़ाई के साथ-साथ पायलट बनने के लिए हर संभव कोशिश करती हैं, इस बीच एक लड़की होने की वजह से उन्हें दुनिया वालों से कई बातें भी सुननी पड़ती है। इसके बावजूद वो हिम्मत नहीं हारती और एक दिन उन्हें अपना सपना पूरा करने का सुनहरा मौका मिलता है और वो किस्मत आजमाने पहुंच जाती हैं, जहां उनकी हाइट और वेट उनके लिए रोड़ा बन जाता है, लेकिन वो उस दिक्कत को भी अपने जोश से पार कर लेती हैं। लेकिन पायलट बनने के बावजूद उन्हें एक महिला होने के नाते पुरुषों के बीच कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, लेकिन वो बिना हार मानें हर चुनौती का सामना करते हुए कारगिल युद्ध में अपने साहसी कामों से कारगिल गर्ल बन जाती हैं। फिल्म में खास बात यह है कि इसमें किसी तरह का कोई लव, रोमांस या ओवर ड्रामा देखने को नहीं मिल रहा हैं।

फिल्म में एक ऐसी लड़की की कहानी दिखाई गई है, जिसके सपने बहुत बड़े हैं और उस वक्त की समाज की सोच से परे हैं। ये कहानी सिर्फ यहीं नहीं रुकती। इसमें पिता और बेटी के बीच गहरी समझ का रिश्ता है। महिलाओं को लेकर समाज, यहां तक की उसके भाई की रूढ़ीवादी सोच, एयरफोर्स में अपनी जगह पाने के लिए लड़ती एक गुजंन सक्सेना की कहानी आपको एक महिला कीं जिदगी के कई पहलू दिखाएगी।

1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई कारगिल जंग में एक महिला फाइटर जेट पायलट की जाबांजी के पीछे की कहानी है ‘गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल’। समाज और अपने ही डिपार्टमेंट से लड़ती हुई महिला को जब खुद को साबित करने का एक मौका मिलता है तो वो ऐसी जांबाजी दिखाती है कि सब हैरान रह जाते हैं। चीता हेलीकॉप्टर पर सवाल होकर रियल लाइफ हीरो गुंजन सक्सेना ने कारगिल वॉर जोन में अपनी जान की परवाह ना करते हुए न सिर्फ घायल सैनिकों को मेडिकल हेल्प तक पहुंचा, बल्कि सप्लाई ड्राप और दुश्मनों के ठिकानों का पता लगाने जैसे काम भी किए थे।

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