वायस ऑफ पानीपत (ब्यूरो):- पानीपत जिले में यमुना नदी के पानी ने काफी तबाही मचाई। मंगलवार सुबह करीब 3 बजे नवादाआर और पत्थरगढ़ के बीच बना बांध टूट गया, जिससे कई हजारा क्यूसेक पानी खेतों और गांवों में घुस आया। यमुना से सटे 7 गांवों का संपर्क टूट गया है। इन गांवों मे प्रशासन की टीमें पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। वहीं यमुना का पानी भरे जाने से गढ़ी सनौली, गढ़ी बेसिक, नवादा आर, नवादा पार, पत्थरगढ़, तामशाबाद, राणा माजरा गांव पूरी तरह प्रभावित हुए हैं। यह सभी 7 गांव यमुना नदी से सटे हुए हैं।
सोमवार सुबह यमुनानगर स्थित हथिनी कुंड बैराज से 1 लाख 94 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इससे पानीपत की यमुना नदी का जल स्तर खतरे के निशान पर पहुंच चुका था। दोपहर बाद कुंड से और पानी छोड़ा गया। क्योंकि लगातार कुंड पर पानी का दबाब बढ़ता जा रहा था। जब यह पानी पानीपत की यमुना नदी में पहुंचा तो यहां यमुना से सटे गांवों के लिए मुसीबत बन गई। वहीं निचले इलाकों में बारिश के पानी ने फसलों को तबाह कर दिया है। जगह-जगह खेतों में जलभराव है। जलभराव से धान की फसल भी लगभग डूब चुकी है। अब किसानों को धान की फसलों को दोबारा लगाना पड़ेगा। बड़ी समस्या इस समय यमुना नदी से सटे इलाकों में ज्यादा है। करनाल पहुंचने पर यमुना के पानी ने कई इलाकों की फसलें तबाह कर दी। पानीपत की तरफ यमुना का पानी तेजी से आया, जिससे यमुना से सटे इलाकों में रहने वाले किसानों ने जो यमुना नदी के किनारे पर प्लेज (बेल वाली) की फसलें लगाई थीं, वह बह चुकी है। धान की फसल भी डूब गई है।
*सोमवार तक डूब चुकी थी 20 हजार एकड़ फसल*
किसानों के अनुसार 20 हजार एकड़ में खड़ी गन्ना, धान और सब्जी समेत हरे चारे की फसलें डूब चुकी थीं। मंगलवार को बांध टूटने से स्थिति और खराब हो गई है।
*खतरे के निशान से ऊपर बह रही यमुना*
हथिनीकुंड बैराज से रविवार को छोड़ा गया 1.45 लाख क्यूसेक पानी सोमवार को पानीपत पहुंच गया। इससे यमुना में उफान आ गया। यहां जलस्तर में 2 मीटर से अधिक की वृद्धि हो गई। इसके बाद 228.95 मीटर से जलस्तर बढ़कर सोमवार शाम को 231.15 मीटर पहुंच गया।
चेतावनी बिंदु 210 मीटर को काफी पहले पार कर चुकी यमुना नदी अब खतरे का निशान 231.500 मीटर भी पार कर चुकी है। अब यमुना पूरी तरह से खतरे के निशान के ऊपर बह रही है, जिससे तटवर्ती इलाके के किसानों और बाशिंदों की चिंता बढ़ चुकी है।
*2012 में भी यहीं से टूटा था बांध*
गौरतलब है कि यह बांध इसी जगह से 2012 में भी टूटा था। उस वक्त भी गांवों के लिए आफत की स्थिति बनी थी। मंगलवार को भी वहीं से बांध टूट गया। 2 JCB राहत कार्य में लगी हैं। आसपास के ग्रामीण सहयोग कर रहे हैं। पत्थरगढ़ से करीब 2 से ढाई किल्ले का चौड़ा रास्ता बन गया है। अगर पानी की स्थिति यही रही तो शाम तक पानी नगला, बबैल सहित आसपास के इलाके तक पहुंच सकता है।
TEAM VOICE OF PANIPAT