वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा):- चक्रवाती तूफानों को नाम दिए जाने की एक खास प्रक्रिया होती है। उत्तरी हिंद महासागर में बनने वाले तूफानों जिसमें बंगाल की खाड़ी व अरब सागर भी शामिल है का नाम देने के लिए 13 देशों का एक पैनल है जो विश्व मौसम संगठन के नियमानुसार जिसमे भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, पाकिस्तान, मालदीव, ओमान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन शामिल हैं ने 2020 में इन तूफानों का नाम देने की नई सूची जारी की गई थी. जिसमें 13 देशों ने 13-13 नाम सुझाए हैं इस तरह कुल 169 नाम तय हो चुके हैं। इन तूफानों को नाम देने का मकसद हर तूफान को एक अलग पहचान देना है जिसके बारे में आम जनता को उसके विकसित होते समय उसके बारे में चेतावनी दी जा सके। साइक्लोन का नाम तभी दिया जाता है जब तूफान की गति 34 नॉटिकल मील प्रति घंटा से ज्यादा होती है
तूफान का नाम रखते समय यह ध्यान रखा जाता है कि ये नाम लिंग, धर्म, संस्कृति, और राजनीतिक रूप से तटस्थ हों और उनसे किसी की भावनाएं आहत ना होती हों तथा नाम छोटे और आसानी से पुकारे जा सकने वाले होने चाहिए। ये नाम अधिकतम 8 अक्षरों के ही हो सकते है।
ताउते तूफान का नाम म्यंमार ने रखा व यास का नाम ओमान ने रखा है। अब अगले तूफान का नाम भी तय है जो पाकिस्तान का नाम गुलाब होगा। इसके बाद कतर का दिया हुआ शाहीन नाम उपयोग में लाया जाएगा। एक देश का सुझाया नाम बाकी 13 देशों के सुझाए नाम के बाद आता है और यह चक्र चलता रहता है।
डॉ मदन खीचड़
विभागाध्यक्ष
कृषि मौसम विज्ञान विभाग
एचएयू हिसार
TEAM VOICE OF PANIPAT