वायस ऑफ पानीपत (कुलवन्त सिंह) :- अपने व्यग्य व कविताओ के माध्यम से राजनीति पर कटाक्ष करने वाले देश के जाने माने हास्य कवि योगेद्र मोदगिल अब हमारे बीच में नही रहे….दुनिया को हसाने वाला ये चेहरा अब हमेशा के लिए खामोश हो गया ,,लॉकडाउन के दौरान अपनी पक्तियो के जरिए हमेशा घर रहकर लोगो को हसाते हुए नियमो का पालन करने की सीख देते देने वाले योगिंदर मोदगिल अब कभीं नही बोलेगे,,उनके बोले हुए शब्द हमेशा कानो मेगूँजते रहेंगे, किसी को ये नही पता था कि इस तरह वो हमेशा के लिए हमे छोड़ कर चले जाएंगे…कोरोना के दौरान उन्हें हार्ट का अटैक आया और ये जुबान हमेशा के लिए खामोश हो गई, जैसे ही उनकी मौत की सूचना मिली तो पानिपत सहित पूरे देश मे शोक की लहर दौड़ गई..
एक ऐसा चेहरा जिसने हर दिल पर राज किया…पानीपत का नाम रोशन किया…ऐतिहासिक धरती पानीपत के ही रहने वाले ओर करनाल के गाँव चिड़ाव मे पैदा हुए हास्य कवि योगेंद्र मौदगिल….अपनी हास्य और बेहतरीन कविताओं से देशभर के श्रोताओं को हमेशा से गुदगुदाने का काम किया…योगेंद्र मोदगिल को सोमवार रात अचानक दिल का दौरा पड़ा…कई दिनो से योगेंद्र मोदगिल कोरोना के चलते निजी अस्पताल में भर्ती थे……लेकिन अचानक रात उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हे दूसरे अस्पताल में ले जाया गया…जहां उन्होने आखिरी सास ली….
कवि योगेंद्र मौदगिल ने अपनी कविताओं से न सिर्फ पानीपत बल्कि देशभर के श्रोताओं के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए,साथ ही छोड़ गए अपनी खती मीठी यादे,,। बता दें कि कवि योगेंद्र मौदगिल की कविताओं की छह मौलिक और 10 संपादित पुस्तकें प्रकाशित हुईं। देशभर के विभिन्न मंचों पर काव्य यात्राएं कीं। इसके अलावा कवि योगेंद्र मौदगिल कई सरकारी-गैर सरकारी संस्थानों व क्लबों से सम्मानित हुए। ज्ञात रहे कि 2001 में उन्हें गढ़गंगा शिखर सम्मान, 2002 में कलमवीर सम्मान, 2004 में करील सम्मान, 2006 में युगीन सम्मान, 2007 में उदयभानु हंस कविता सम्मान और 2007 में ही पानीपत रत्न सम्मान से नवाजे गए। वे पानीपत सांस्कृतिक मंच के संस्थापक सदस्य भी थे।
इसके अलावा कविव योगेंद्र मोदगिल दूरदर्शन नेशनल चैनल सहित विभिन्न निजी चैनलों से नियमित कविता पाठ करते रहे। बता दें कि हरियाणा की एकमात्र काव्य पत्रिका कलमदंश का 6 सालो तक निरंतर प्रकाशन व संपादन किया। कई राष्ट्रीय दैनिक अखबारों में दैनिक काव्य स्तंभ का लेखन करते रहे। इसके अलावा कवि योगेंद्र मौदगिल की देशभर के सैकड़ों अखिल भारतीय सम्मेलनों के सफल संयोजन में सहभागिता रही।
योगेंद्र मोदगिल का जन्म 25 सितंबर 1963 को करनाल के चिड़ाव में हुआ था…और उनकी उम्र 58 साल थी… अपनी कविताओं से सभी को उत्साहित करने वाले ऐसे प्रसिद्ध कवि को आज वायस ऑफ पानीपत शत-शत नमन करता है….जिन्होने समाज अपनी अलग पहचान बनाई
TEAM VOICE OF PANIPAT