वॉयस ऑफ पानीपत(कुलवन्त सिंह)- क्वालिफाइंग राउंड में टॉप पोजिशन हासिल करने के बाद आत्मविश्वास बढ़ गया था। यही कारण है कि फाइनल से पहले दबाव महसूस नहीं हुआ। बस इतना ख्याल था कि अपना बेस्ट देना है। पहला थ्रो 87 मीटर से ऊपर गया तो अंदर से बहुत हिम्मत आई। दूसरा थ्रो 87.58 मीटर गया तो साफ दिखने लगा कि ओलिंपिक मेडल अब अपना है। उसी खुशी का इजहार मैंने हाथ उठाकर किया। मैंने सोचा कि अब ओलिंपिक रिकॉर्ड के लिए प्रयास करूंगा। लेकिन यह कर नहीं पाया। जब 86.67 मी. थ्रो कर चुके चेक रिपब्लिक के जेकब वेदलेच का अंतिम थ्रो 87 मीटर क्राॅस नहीं कर सका तो मेरा गोल्ड पक्का हो गया। फिर जब मेडल पहना और जन-गण-मन बजा तो धड़कनें बढ़ गईं। उस अहसास को कैसे बयां करूं। एथलेटिक्स में भारत के लिए मेडल का जो ख्वाब मिल्खा सिंह और पीटी उषा ने देखा था, वह आज पूरा हो गया है। नीरज ने कहा कि जब पिछली रात जब सोया तो मन में यही था कि कल स्टेडियम में जन-गण-मन बजना चाहिए।
मिल्खा सिंह की ख्वाहिश थी कि एथलेटिक्स में देश का गोल्ड आए। आज उनकी ख्वाहिश पूरी करके खुश हूं। यह मेडल उन्हें समर्पित करता हूं। मेरी जीत परिवार के त्याग और कोच की मेहनत के बिना असंभव थी। कभी महीने तो कभी दो महीने तक घर पर बात नहीं होना, महीनों घर नहीं आना, यह सब आसान नहीं होता। जर्मनी के दिग्गज थ्रोअर जोहानस वेटर के चैलेंज ने मेरे लिए प्रेरणा का काम किया। उन्होंने कहा था कि मैं बेहतर कर सकता हूं, पर उन्हें हरा नहीं सकता। वे महान खिलाड़ी हैं, लेकिन मैंने अपना जवाब अपने थ्रो से दिया। लेकिन, मुझे उनके लिए बुरा लग रहा है, क्योंकि मैं उनका सम्मान करता हूं। कई बार बड़े से बड़े एथलीट परफॉर्मेंस नहीं दे पाते।
मेरा इवेंट देश के लिए सबसे अंतिम था तो मन में था कि देश को अंत में सबसे बड़ी खुशी दे पाऊं। मुझे खुशी है कि मैं देश को गोल्ड दिला पाया। अब इसी पर काम करूंगा कि कैसे 90 मीटर पार कर सकूं। अभी डायमंड लीग खेलनी है। इसके बारे में स्वदेश लौटने के बाद ट्रेनिंग के हिसाब से देखूंगा। अभिनव बिंद्रा ने 2008 में शूटिंग में पहला गोल्ड जीता। अब नीरज ने जीता है। हॉकी को छोड़ दें तो 121 साल के ओलिंपिक इतिहास में पोडियम पर सिर्फ दूसरी बार ‘जन-गण-मन…’ गूंजा है। भारत 1900 में पहली बार ओलिंपिक में उतरा। तब एथलेटिक्स में 2 सिल्वर जीते थे। अब नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीता है। भारत ने 2012 में सर्वाधिक 6 मेडल जीते थे। अब टोक्यो में 7 मेडल जीते हैं।
TEAM VOICE OF PANIPAT