वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था। लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा अभी आंदोलन को खत्म करने की जल्दबाजी में नहीं है। रविवार को सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक हुई। इसके बाद संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखा। पत्र में आंदोलनरत किसानों की 6 मांगों को उठाया गया है। उनका कहना है कि सरकार को तुरंत किसानों के साथ बातचीत शुरू करनी चाहिए।
किसानों ने अपने पत्र में लिखा कि प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय वार्ता के बजाय एकतरफा फैसला लिया है। हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के एलान का स्वागत किया। मोर्चा ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को रद्द कराना किसानों की एकमात्र मांग नहीं है। हमारी छह लंबित मांगों के पूरा होने के बाद किसान अपने गांव और खेतों में वापस चले जाएंगे। मांगें नहीं पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। किसानों की तरफ से इन मांगो के बारे में बात की गई है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने पत्र में सभी किसानों व कृषि उपजों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की गारंटी का कानून बनाने की मांग उठाई है।
वहीं उनका कहना है कि सरकार द्वारा प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक 2020/2021 का ड्रॉप्ट वापस लिया जाए।
किसानों का कहना है कि वार्ता के दौरान सरकार ने इसे वापस लेने का वादा किया था लेकिन बाद में वादाखिलाफी कर सरकार ने इसे संसद की कार्यसूची में शामिल किया था।
इसके बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र व इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अधिनियम 2021 में किसानों को सजा के प्रावधान को हटाया जाए।
उन्होंने ये भी कहा है कि दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और अनेक राज्यों में हजारों किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को तत्काल वापस लेने की मांग संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने पत्र में उठाई है। उन्होंने पत्र में किसान मोर्चा ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त व गिरफ्तार करने की मांग की।
साथ ही आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 700 किसानों के परिजनों को मुआवजा व पुनर्वास की मांग। शहीद किसानों की याद में सिंघु बॉर्डर पर स्मारक बनाने के लिए जमीन भी मांगी है। इन सभी मांगो के लिए उन्होने पत्र लिखा है।
TEAM VOICE OF PANIPAT