वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)- बिजली की बर्बादी से बढ़ रही है खपत वहीं कोयले की कमी से बिजली संकट गहराया हुआ है। प्रदेश में भी लंबे-लंबे कट लगने लगे हैं। इस बीच बड़ी चिंता यह है कि अब भी बिजली बर्बाद हो रही है। ऐसे में बिजली निगम की उन योजनाओं का रियलिटी चेक किया, जिनके जरिए सरकार बिजली बचाने का दावा करती है। इसमें पता चला कि कम बिजली खपत के लिए 1.56 करोड़ एलईडी व पंखे वितरित किए गए थे। लेकिन, अब इनमें करीब 90% खराब हो चुके हैं। इन्हें बदलने वाली कंपनी का कोई पता नहीं है। दूसरा- सरकार ने 6 माह में जर्जर तार बदलने का दावा किया था, पर तार अब भी लटक रहे हैं। तीसरा- 10 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का दावा था, पर अब तक 2.48 लाख ही लगे हैं।

यही नहीं, अब तक सभी घरों से पुराने मीटर भी बाहर नहीं निकाले जा सके हैं। चौथा- 3 साल में बिजली चोरी डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ गई। इन सबके चलते लाइनलॉस 14.5 से 19% तक हो गया है। यानी बिजली की बर्बादी हो रही है। सरकार ने एक कंपनी से समझौता कर कम बिजली खपत वाले 1,55,39297 एलईडी व 60709 पंखे वितरित किए थे। दावा है कि इससे हर साल 811 करोड़ लागत की 20,26,933 मेगावाट बिजली बच रही है। लेकिन जिलों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 90% एलईडी-पंखे खराब हो चुके हैं। अब इन्हें बदलने के लिए कंपनी का कोई पता ही नहीं है। पंचकूला, पानीपत, करनाल, गुड़गांव में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना है। 10 लाख मीटर के लिए 11 जुलाई 2018 को ईईएसएल कंपनी से बिजली विभाग का एमओयू हुआ। यूएचबीवीएन से 7 दिसंबर 2020 व डीएचवीबीएन से 21 जनवरी 2021 को एमओयू हुआ। 3 साल में मीटर लगने हैं। अब तक 2.80 लाख ही इंस्टॉल हुए हैं। 240 उपभोक्ताओं ने प्री-पेड में बदलवाया है।

बिजली चोरी रोकने को सरकार ने 2 बड़े कदम उठाए थे। इनमें पुराने मीटर घर से बाहर निकालना और स्मार्ट मीटर लगाना था। लेकिन, न पूरी तरह पुराने मीटर बाहर निकले और न स्मार्ट मीटर लगे हैं। सरकार 5309 गांवों में मीटर बाहर निकाल उन्हें जगमग करने का दावा कर रही है। हकीकत यह है कि कई विधायकों-मंत्रियों तक के गांव ऐसे हैं, जिनमें मीटर बाहर नहीं लगे हैं। 2 साल पहले जब गठबंधन सरकार बनी तो बिजली मंत्री ने दावा किया था कि सभी लटकते तार ठीक करने के साथ जर्जर तारों को 6 माह में बदल दिया जाएगा। हकीकत यह है कि गलियों में अब भी जर्जर और लटकते तार हैं। इनके कारण लगातार हादसों की खबरें भी आती रहती हैं। दो साल में इनमें केवल 20% तक ही सुधार हुआ है, जो लाइनलॉस रोकने के लिए नाकाफी है।

पुराने मीटर बाहर न निकलने और स्मार्ट मीटर नहीं लगने से बिजली चोरी लगातार बढ़ रही है। 2018-19 के मुकाबले 2020-21 में बिजली चोरी के मामले डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ गए। बिजली चोरी के केसों में 2019 में 138 करोड़ व 2020 में 245 करोड़ रु. जुर्माना हुआ। हरियाणा बिजली वितरण निगम के अनुसार, लाइनलॉस 14.5% है। इसकी बड़ी वजहें बिजली चोरी और लटकते व जर्जर तार हैं। इसके अलावा लाइनों में टेक्निकल फाॅल्ट से भी लाइनलॉस होता है। वहीं, केंद्रीय बिजली मंत्रालय के उदय पोर्टल की बात करें तो उसके अनुसार हरियाणा में लाइनलॉस 14.5% नहीं, बल्कि 18.96% है, जिसके कारण प्रति यूनिट 17 पैसे का गैप आ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लाइनलॉस सामान्य ताैर पर 5-6% से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
TEAM VOICE OF PANIPAT