30.7 C
Panipat
July 27, 2024
Voice Of Panipat
Big Breaking NewsHaryanaHaryana NewsPanipat

अडियल रवैये से समझौते की राह हुई मुश्किल, पिस रही बीच जनता

वायस ऑफ पानीपत(कुलवन्त सिंह)- अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे किसानों की बात दूसरे दिन भी नहीं मानी गई। मंगलवार को किसानों-अफसरों के बीच नई वार्ता इस उम्मीद से शुरू हुई थी कि बात जरूर बन जाएगी और किसानों का लघु सचिवालय से धरना भी उठ जाएगा। लेकिन ‘समझौते’ के आड़े अड़ियल रवैया हावी हो गया और सवाल प्रतिष्ठा का बन गया। नतीजतन, दानवीर कर्ण की नगरी में किसानों ने अपना नया मोर्चा जमा लिया।

शाम को बैठक बेनतीजा रहने के बाद किसानों के अधिकतर बड़े नेता भी बेमियादी धरने का एलान कर दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पहले से चल रहे धरनों की ओर कूच गए। करनाल में धरने की जिम्मेदारी पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उतर प्रदेश के किसानों को दी गई है। वहीं किसानों और सरकार का यह अड़ियल रवैया स्थानीय लोगों के लिए जरूर परेशानी का सबब बन गया है, क्योंकि लघु सचिवालय के बाहर किसानों ने तंबू गाड़ लिया है और इस ओर आने वाले तमाम रास्ते पहले ही प्रशासन ने सील कर रखे हैं। मंगलवार को भी आवाजाही खासी प्रभावित रही और लोग वैकल्पिक रास्तों पर भटकते नजर आए।

दरअसल, किसानों की पूर्व मांगों के साथ-साथ जिन नए मुद्दों पर करनाल का यह नया आंदोलन खड़ा किया गया है। उस पर अभी तक समझौते के आसार कम ही दिख रहे हैं। 28 अगस्त के लाठीचार्ज के बाद किसानों ने इस आंदोलन में जिन मांगों को बुलंद कर रखा है, उन्हें सरकार जायज नहीं मानती। लेकिन किसानों ने इस आंदोलन को अब ‘न्याय की जंग’ करार दे दिया है। मंगलवार को दूसरी बार किसानों से बातचीत में भी आला अफसरों ने किसानों से इन्हीं मांगों पर समझौता करने का खासा प्रयास किया। बैठक के बीच कई बार अफसरों ने चंडीगढ़ सरकार से निर्देश लेते हुए किसानों को मनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया। मगर बात सिरे नहीं चढ़ी।

किसान नेता राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव ने कहा कि हम यहां लाठीचार्ज के बाद मृतक किसान के आश्रितों को न्याय दिलवाने के लिए आएं हैं, न कि इस पर कोई समझौता करने। जो मांगें हमें जायज लगती थी, वो हमने प्रशासन के माध्यम से सरकार के समक्ष रख दी हैं। लेकिन सरकार बार-बार हमें इस मुद्दे से भटकाने का विफल प्रयास कर रही है। इसलिए हमने भी किसान आंदोलन का नया खूंटा करनाल में ही गाड़ने का फैसला कर लिया है।

उधर, सरकार भी आंदोलन और किसानों की मांगों के हर पहलू पर गंभीरता से विचार-विमर्श कर अपनी बात पर कायम है। सरकार ने प्रशासन के माध्यम से किसानों को एसडीएम के वीडियो वायरल प्रकरण की निष्पक्ष जांच तक कराने का आश्वासन दिया है। लेकिन किसान इस बात पर भी तैयार नहीं हैं।

TEAM VOICE OF PANIPAT

Related posts

NTA SWAYAM July 2023 सेमेस्टर एग्जाम शेड्यूल में हुआ बड़ा बदलाव, 30 Nov को होने वाली परीक्षा अब इस Date में होगी

Voice of Panipat

डीजल की कीमतों में 100 दिन की सबसे बड़ी गिरावट, पेट्रोल भी हुआ सस्ता

Voice of Panipat

अश्लील हरकत करने का किया विरोध तो महिला पर डाला गर्म तेल.

Voice of Panipat