वॉयस ऑफ पानीपत(देवेंद्र शर्मा)- मानसून सत्र के दौरान पुख्ता सुरक्षा और कानून व्यवस्था के लिए स्पीकर ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ राज्यों के पुलिस-प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक बुलाई है। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान पंजाब का कोई विधायक, अधिकारी या कर्मचारी बिना पहचान पत्र के विधानसभा परिसर में प्रवेश नहीं कर सकेगा। पिछले बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल पर अकाली विधायकों द्वारा किए गए हमले के बाद विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने यह व्यवस्था दी है।
तीनों राज्यों के अधिकारियों की यह बैठक इसी सप्ताह होगी, जिसमें हरियाणा, पंजाब व चंडीगढ़ के पुलिस महानिरीक्षकों द्वारा स्पीकर को सौंपी गई उस रिपोर्ट को लागू करने पर मंथन होगा, जो उन्होंने बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री पर हुए हमले के बाद तैयार की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा और पंजाब विधानसभा में प्रवेश के लिए सात कामन द्वार हैं। इन सातों द्वार पर पुलिस सिक्योरिटी टाइट रहेगी। मुख्यमंत्री पर हमला करने से पहले अकाली विधायक विधानसभा की पार्किंग में खड़ी गाड़ियों में बैठे थे, इसलिए इस बार पार्किंग एरिया में भी मजबूत सुरक्षा इंतजाम किए जाएंगे।
हरियाणा विधानसभा का मानसून सत्र 20 अगस्त से शुरू हो रहा है। विधानसभा सचिवालय मानसून सत्र की तैयारियों में जुटा हुआ है। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के अनुसार विधानसभा में एक सीट पर एक विधायक के बैठने की व्यवस्था की गई है। विधानसभा सचिवालय का पूरा जोर टाइट सिक्योरिटी पर रहेगा। हरियाणा विधानसभा में प्रवेश के लिए तीन मुख्य द्वार हैं। इन सभी पर सबसे अधिक सुरक्षा इंतजाम रहेंगे। पुलिस महानिदेशक मनोज यादव मुख्यमंत्री पर हुए हमले के मामले में अपनी तीन रिपोर्ट स्पीकर को दे चुके हैं, जिनसे स्पीकर संतुष्ट नहीं हैं। लिहाजा उन्होंने यह मामला विधानसभा की विशेषाधिकार हनन कमेटी को भेज दिया है।
स्पीकर के अनुसार प्रीविलेज कमेटी को यह अधिकार है कि वह पूछताछ के लिए डीजीपी समेत अन्य अधिकारियों को बुला सकती है। यदि उसे लगता है तो सीएम पर हुए हमले का मामला विधानसभा में चर्चा के लिए भेजा जा सकता है। फिर विधानसभा उस पर कोई भी निर्णय ले सकती है। प्रीविलेज कमेटी का गठन ही विधायकों के मान-सम्मान को बरकरार रखने के लिए हुआ है। विधानसभा कमेटियों में लंबे समय से निष्क्रिय चल रहे विधायकों को बाहर का रास्ता दिखाने से जुड़े सवाल पर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि जनता ने विधायकों को चुनकर विधानसभा में भेजा है। यदि वह विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेते तो यह जनता के साथ छलावा है। इसके अतिरिक्त विधानसभा की कमेटियों में विभिन्न मसलों पर चर्चा होती है। कई ऐसे विधायक हैं, जो लंबे समय से इन बैठकों में नहीं आते।
TEAM VOICE OF PANIPAT