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April 25, 2024
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फार्मर ट्रेड काॅमर्स, एसेंशियल कमॉडिटी एक्ट और कॉन्ट्रेक्टर फार्मिंग एक्ट के विरोध उतरी एसोसिएशन

वायस आफॅ पानीपत(देवेंद्र शर्मा): हरियाणा प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन ने शुक्रवार को प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए गए फार्मर ट्रेड काॅमर्स, एसेंशियल कमॉडिटी एक्ट और कॉन्ट्रेक्टर फार्मिंग एक्ट के विरोध में बैठक आयोजित की। चेतावनी दी कि सरकार इन अध्यादेशों को वापस ले अन्यथा आढ़ती बड़े स्तर पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे। एसेसिएशन ने इस बावत डीसी को ज्ञापन सौंपा।

बैठक का आयोजन नई अनाज मंडी में किया गया। प्रधान धर्मवीर मलिक ने बताया कि प्रदेश सरकार ने तीन अध्यादेश जारी किए हैं। इससे आढ़तियों और उनसे जुड़े लोगों काे काफी नुकसान होगा। वह बेरोजगार हो जाएंगे। इस कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति जिसके पास पैन कार्ड है। वह मंडी में बाहर किसान से फसल खरीद सकता है। उस पर किसी तरह का सरकारी शुल्क नहीं है। फिलहाल आढ़ती किसान से फसल लेकर ढेरी बनाता है।उस फसल की बोली लगवाता है। इससे किसान की फसल की कीमत देने की जिम्मेदारी आढ़ती की होती है। मार्केट फीस एक टैक्स की तरह होती है। इससे वस्तु की कीमत बढ़ती है। इसलिए मंडी के अंदर और बाहर एक जैसा ही नियम होना चाहिए।

बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पर्याप्त मंडी व्यवस्था न होने के कारण यहां का किसान अपनी फसलें गांव में ही व्यापारियों के पास कम दाम में बेच देता है। उनकी फसलें हरियाणा के किसानों के मुकाबले बहुत कम दाम में बिकती हैं। इस कारण वहां का किसान हरियाणा की मंडियों में फसल बेचने के लिए आते हैं। दूसरी अध्यादेश के नए एक्ट के तहत सरकार ने सभी आवश्यक वस्तुओं पर स्टॉक लिमिट समाप्त कर दी है। जिसका नाजायज फायदा बड़े व्यापारी कालाबाजारी के लिए करेंगे।

वह खाद्यान्न की मांग और वितरण अपने हिसाब से करेंगे। वर्तमान हालात में सरकार का आवश्यक वस्तुओं पर नियंत्रण है। कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के अध्यादेश के माध्यम से मल्टीनेशनल कंपनीज पहले भी किसानों से धोखा करती रही है। हरियाणा, पंजाब में प्रयोग पहले ही फेसल हो चुके हैं। कंपनियां कांट्रेक्ट के तहत किसानों को खाद, बीज, दवाई आदि महंगे दामों में बेचती हैं।

फसल के समय अगर बाजार भाव कॉन्ट्रेक्ट भाव से कम है तो कंपनियां किसानों को तंग करती हैं। मिल मालिक भी अपनी रेट पर किसानों से गन्ना खरीदता है। भुगतना भी देरी से करता है। इसलिए सरकार जल्द से जल्द पारित किए गए अध्यादेशों को वापस ले नहीं तो आढ़ती प्रदर्शन को बाध्य होंगे।

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