वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा) -: 11 जुलाई को दुनिया भर में जनसंख्या दिवस के रुप में मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के प्रति जागरूक करना और बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकना है।
दरअसल बढ़ती जनसंख्या दुनियाभर में चिंता का गंभीर विषय बनी है। ऐसे में इस दिन लोगो को लैंगिक समानता, परिवार वियोजन और मानवाधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है। वहीं भारत में बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए लंबे समय में हम दो हमारे दो योजना पर जोर देने की मांग की जा रही है।

बता दें कि विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत 11 जुलाई 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की संचालन परिषद द्वारा की गई थी। जिस समय इस दिवस को मानने की योजना बनाई उसी दौरान विश्व की जनसंख्या लगभग 500 करोड़ थी। तभी से हर वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है।जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न कारणों पर विचार कर इनके लिए उपायों पर ध्यान देना भी उतना ही जरूरी है। विश्व जनसंख्या दिवस पर जागरूकता फैलाने के लिए कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सोशल मीडिया, विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों व सभाओं का संचालन, प्रतियोगिताओं का आयोजन, रोड शो, नुक्कड़ नाटक अन्य कई तरीके शामिल हैं। लेकिन इन सभी का उद्देश्य एक ही है, जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालना और इसके प्रति लोगों को जागरूक करना।

इस वर्ष का विषय विशेष रूप से कोरोना महामारी के समय में दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और अधिकारों की सुरक्षा पर आधारित है। हाल ही में यूएनएफपीए के एक शोध में कहा गया है कि अगर लॉकडाउन 6 महीने तक जारी रहता है, और स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ी गड़बड़ी होती है, तो कम और मध्यम आय वाले देशों में 47 मिलियन महिलाओं को आधुनिक गर्भ निरोधक नहीं मिल पाएंगे। वहीं साल 2019 में जनसंख्या दिवस की थीम फैमिली प्लानिंग: इम्पावरिंग पीपल, डिवेलपिंग नेशन्स रखी गई थी।
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