32.3 C
Panipat
July 27, 2024
Voice Of Panipat
EducationHaryana

हरियाणा बोर्ड में 6वीं से 8वीं तक अब बाल चित्रकला की जगह लगी कला सेतु पुस्तक, आधुनिक तकनीक के साथ लोककला व परंपरा को भी सिखाएंगे 

वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा):- हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के 6 से 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों के हाथ में अब बाल चित्रकला की जगह दृश्य कला यानी विजुअल आर्ट की नई पुस्तक कला सेतु होगी। बरसों से किताब के ऊपर सुराही और डिब्बे की बनाते आ रहे विद्यार्थियों को अब नए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ कला का सौंदर्यबोध कराना है।

पुस्तक को राष्ट्रपति अवॉडी ड्राइंग टीचर धर्मसिंह अहलावत, रमेश कुमार शर्मा और उनके साथियों ने करीब दो वर्ष के अनुसंधान में तैयार किया है। पुस्तक स्कूलों में पहुंच चुकी है। शिक्षा विभाग निशुल्क वितरण की तैयारी कर रहा है। मकसद बच्चों की प्रतिभा केवल चित्रों की नकल करने तक ही सीमित न रहे, बल्कि वे स्वयं को अभिव्यक्त करने में दक्ष बन सकें। पुरानी कला पुस्तक और बदलाव के साथ नई पुस्तक के सृजन की कहानी कला सेतु लेखन समिति के अध्यक्ष व सेवानिवृत अध्यापक धर्मसिंह अहलावत की जुबानी जानते हैं।


हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी की 54 वर्ष पुरानी बाल चित्रकला पुस्तक पढ़कर कला शिक्षक बने हैं। चूंकि हमने कला के क्षेत्र की और कोई पुस्तक न देखी न ही पढ़ी थी, ऐसे में हम इसी पुस्तक को पूर्ण व सही मानते थे। वर्ष 1986 में राष्ट्रीय कला संग्रहालय दिल्ली में 4 माह का आर्ट एप्रिसिएशन कोर्स करने का अवसर मिला, तब वहां देश-विदेश के चित्रकारों के मूल चित्र देखने, कला विशेषज्ञों व प्रसिद्ध चित्रकारों के लेक्चर के उपरांत मुझे लगा कि हमारी कला पुस्तक चित्रों की नकल करना भर सिखा रही है। जबकि दृश्यकला का मूल उद्देश्य अपने मौलिक विचार, दृष्टिकोण और अभिव्यक्ति के लिए बच्चों को तैयार करना है।

सीसीआरटी नई दिल्ली में वर्ष 2008 में 30 दिन के राष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण में इस विचार को और मजबूत किया कि बच्चे परंपरा के वाहक हैं। एससीईआरटी गुड़गांव में वर्ष 2009 में कला शिक्षकों को प्रशिक्षण देते समय मैंने और रमेश कुमार शर्मा ने वहां के निदेशक के समक्ष कला की नई पुस्तक की अवधारणा रखी, लेकिन कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। फिर भी हमने नई पुस्तक के जुड़े रिसर्च वर्क को जारी रखा। वर्ष 2014 में गुड़गांव में ही वर्कशॉप के दौरान तत्कालीन निदेशक स्नेहलता अहलावत ने नई पुस्तक के प्रस्ताव को स्वीकारते हुए इस संबंध में चीफ सेक्रेटरी टीसी गुप्ता से हमें रूबरू करवा दिया। फिर तो उनकी सहमति मिलते ही नई कला पुस्तक का रचना विज्ञान आकार लेने लगा।

वर्ष 2018 में नई पुस्तक लेखन के बाबत प्रदेश भर के कला शिक्षकों को एससीईआरटी में आमंत्रित किया गया। 35 में से 11 कला शिक्षकों की लेखन समिति बनी। इसमें से 5 कला अध्यापक रमेश कुमार शर्मा, सुंदर, नीरज, जितेंद्र और मैं धर्म सिंह अहलावत रोहतक से हैं। हमारी टीम की सवा दो साल की साधना और अनुसंधान की बदौलत कला सेतु पुस्तक अस्तित्व में आई। एनसीईआरटी और सुपवा, रोहतक ने इसमें मार्गदर्शन किया। पुस्तक में शामिल आर्ट वर्क को कुछ कला अध्यापकों ने किया तो कुछ शक्ति सिंह आदि साथियों के सहयोग से किया गया। शिक्षा मंत्रालय की स्वीकृति के बाद अब 72 पृष्ठों की यह पुस्तक सभी सरकारी स्कूलों में पहुंच चुकी हैं। 

रोहतक के कला टीचर सुंदर ने कला सेतु पुस्तक का आवरण चित्र और अंदर के मुख्य चित्रों की रचना की है। पुस्तक की थीम, रूपरेखा, प्रस्तुति और मार्गदर्शन में एनसीईआरटी कला विभाग की विशेषज्ञ प्रोफेसर ज्योत्सना तिवारी, सुपवा रोहतक से सलाहाकार के रूप में प्रोफेसर विनय कुमार, प्राध्यापक दीपक सिंकर, प्राध्यापक अतहर अली व प्राध्यापक उज्जवल का विशेष योगदान रहा। इनके अलावा जितेंद्र, रविंद्र दलाल, कोमल कटारिया, योगिता सतीजा, संगीता गुप्ता, कपूर सैनी, प्रदीप मलिक, रमेश यादव, नीरज सैनी, दीपक मोर, नरेंद्र डबास व अनिल अरोड़ा का भी योगदान रहा। 

TEAM VOICE OF PANIPAT

Related posts

ट्रक ड्राइवर के हड़ताल के चलते, चंडीगढ़ के कई पेट्रोल पंपों पर डीजल पेट्रोल खत्म

Voice of Panipat

कमजोर पासवर्ड रखना साइबर अपराध को निमंत्रण देना, पुलिस SP अजीत सिंह शेखावत

Voice of Panipat

3 भाइयों और पिता की मौत से परेशान युवती ने की आत्महत्या, पढिए खबर

Voice of Panipat