वायस ऑफ पानीपत(देवेंद्र शर्मा)- तीन कृषि कानूनों को रद कराने की मांग को लेकर टीकरी बार्डर पर चल रहे आंदोलन को नौ माह का समय बीत चुका है। इस आंदोलन से जहां व्यापारी वर्ग व स्थानीय लोग परेशान हैं वहीं आंदोलन में शामिल किसान का धैर्य भी अब धीरे-धीरे जवाब देने लगा है। उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। नवंबर 2020 में जब यह आंदोलन शुरू हुआ था तो उस समय हर आंदोलनकारी के चेहरे पर एक नूर था, मगर जैसे जैसे यह आंदोलन बीतता जा रहा है वैसे ही आंदोलनकारियों के चेहरों में चिंता की लकीरें बढ़ती ही जा रही हैं।
हर किसी के मन में एक चिंता इस बात की है कि आखिरकार यह आंदोलन कब खत्म होगा। न तो सरकार ही आंदोलन को खत्म करने की दिशा में कोई कदम उठा रही है और ना ही किसान झुकने को तैयार हैं। ऐसे में अब आंदोलन को तेज करने की रणनीति भी बनाई जाने लगी है। यूपी के मुजफ्फरनगर में हुई महापंचायत में 27 सितंबर को भारत बंद के फैसले से किसानों में फिर से आंदोलन को तेज करने की एक उम्मीद जगी है। किसान नेता अब बार्डरों पर आकर भारत बंद को सफल बनाने की रणनीति बनाने में जुट जाएंगे। भारत बंद को सफल बनाने के लिए पंजाब से भी भारी संख्या में किसानों को यहां बुलाया जाएगा। पंजाब में तो भारत बंद सफल पिछले दिनों भी रहा था लेकिन हरियाणा व अन्य राज्यों में भारत बंद को सफल बनाने की चिंता किसान नेताओं को अब भी होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के मनमाने फैसलों का हरियाणा के कुछ किसान संगठन विरोध भी जता चुके हैं ऐसे में हरियाणा में इस भारत बंद का कितना असर पड़ेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा लेकिन फिलहाल महापंचायत से लौटकर मोर्चा में शामिल नेता अपने-अपने किसान संगठनों में भारत बंद को सफल बनाने के लिए रणनीति बनाने में जुट जाएंगे। भारत बंद को अभी काफी समय है। करीब 20 दिन का समय है। किसान नेता इस समय को भुनाते हुए भारत बंद को हर हाल में सफल बनाने का पूरा प्रयास करेंगे।
TEAM VOICE OF PANIPAT