वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)- PGI चंडीगढ़ के बाहर लंगर लगाने वाले पद्मश्री जगदीश आहूजा का बीते दिन निधन हो गया। दोपहर 3 बजे चंडीगढ़ के सेक्टर 25 श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। लंगर बाबा के नाम से मशहूर आहुजा ने पीजीआई के साथ ही जीएमएसएच-16 और जीएमसीएच-32 के सामने भी लंगर लगाकर लोगों का पेट भरा। 40 सालों से लंगर बाबा सेवा कर रहे थे। इसलिए उन्हें पिछले वर्ष पद्मश्री पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था।
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लोगों का पेट भरने के लिए करोड़ों रुपये की संपत्ति दान करने वाले लंगर बाबा सेक्टर 23 में रहते थे। उम्र के 85 बसंत देख चुके जगदीश आहूजा को लोग प्यार से ‘लंगर बाबा’ के नाम से पुकारते थे। पटियाला में उन्होंने गुड़ और फल बेचकर अपना जीवनयापन शुरू किया। 1956 में लगभग 21 साल की उम्र में चंडीगढ़ आ गए। उस समय चंडीगढ़ को देश का पहला योजनाबद्ध शहर बनाया जा रहा था। यहां आकर उन्होंने एक फल की रेहड़ी किराए पर लेकर केले बेचना शुरू किया।
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लंगर बाबा के नाम से मशहूर पद्मश्री जगदीश लाल आहूजा के जाने से हर कोई गमगीन है। उनका पार्थिव शरीर सेक्टर- 23 के घर के लॉन में रखा हुआ था और सबकी आंखों में आंसू थे। पत्नी निर्मल आहूजा का रो-रोकर बुरा हाल था। पास पड़ोस के लोग भी धीरज बंधाने के लिए पहुंचे। बेटा गिरीश आहूजा, बेटियां शिवानी और रीनू और दामाद अतुल दुग्गल सहित उनके परिवार के अन्य सदस्य पहुंचे थे।
TEAM VOICE OF PANIPAT