वायस आफॅ पानीपत (कुलवन्त सिंह)- हरियाणा सरकार की चीनी मिलों पर दरियादिली की कैग (नियंत्रक महालेखा परीक्षक) ने पोल खोलकर रख दी है। सरकार ने चीनी मिलों को नियम तोड़कर करोड़ों रुपये का कर्ज दिया है। इसका खुलासा विधानसभा के मानसून सत्र में सदन पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट से हुआ है। कैग ने 31 मार्च 2019 को समाप्त वित्त वर्ष की यह रिपोर्ट सौंपी है।
कैग रिपोर्ट चीनी मिलों को कर्ज देने पर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार मिलों को कर्ज इस शर्त के साथ दिया गया था कि बारह महीने बाद नौ प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज दर के साथ समान किश्तों में इसे पांच बर्ष में चुकाना होगा। यह प्रावधान था कि कर्ज चुकाने में विफल रहने पर नया कर्ज चीनी मिलों को नहीं दिया जाएगा।
बावजूद इसके साथ ने चीनी मिलों से पुराना कर्ज वसूले बिना ही नया कर्ज नियमों को ताक पर रखकर दे दिया। कैग के अनुसार सरकार की लापरवाही के कारण पहली अप्रैल 2009 को चीनी मिलों पर सरकार को जो कर्ज बकाया 618.40 करोड़ रुपये था, वह 31 मार्च 2019 को बढ़कर 2647.86 करोड़ रुपये हो गया।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सरकार की कर्ज वसूली खराब रही है, इसलिए इस कर्ज को अनुदान के रूप में मानते हुए राजस्व व्यय में शामिल करने पर विचार किया जाना चाहिए। पोर्ट में कैग ने हरियाणा को 2019 में भी राजस्व घाटे वाला राज्य बने रहने की बात कही है। 2018-19 के दौरान 11270 करोड़ का राजस्व घाटा था। यह दिखाता है कि सरकार की राजस्व प्राप्तियां राजस्व व्यय को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। उधार ली गई निधियों का उपयोग सरकार ने पूंजीगत सृजन के बजाए मौजूदा जरूरतों को ही पूरा करने के लिए किया। इसके साथ ही हरियाणा का प्रारंभिक घाटा भी बढ़ता जा रहा है। 2014-15 में यह 5658 करोड़ था जो 2018-19 में बढ़कर 8361 करोड़ हो गया है। विभिन्न विभागों को सरकार ने 8469.49 करोड़ रुपये बतौर कर्ज व अनुदान दिए। विभागों ने 31 मार्च 2019 तक इस राशि के 1732 उपयोगिता प्रमाण पत्र ही नहीं सौंपे। 87 स्वायत्त निकायों, प्राधिकरण ने वित्तीय सहायता लेने के बाद राशि नहीं लौटाई। इसके 166 मामले बकाया है।
TEAM VOICE OF PANIPAT