वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा):- मानसून की बरसात का इंतजार प्रदेश वासियों के लिए ओर लंबा होता जा रहा है। मौसम विभाग का मानना है कि मानसून की सक्रियता जुलाई के दूसरे सप्ताह में बढ़ेगी। संभव है कि 10 जुलाई के बाद मानसून की हवाएं चलनी शुरू हों, लेकिन इससे पहले आठ से 10 जुलाई के बीच प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में धूलभरी आंधी व बादल छाने की संभावना बनी हुई है। जिससे गर्मी से आंशिक राहत मिल सकती है। वहीं यदि देशभर में मानसून के शुरूआती महीने की बात करें तो प्रदर्शन अच्छा रहा है।
जून का महीना देश के मध्य और पूर्वी हिस्सों में समान वितरण के साथ लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के 110 फीसदी के साथ समाप्त हुआ। उत्तर भारत में, मानसून सामान्य रूप से जुलाई के पहले सप्ताह के आसपास आगे बढ़ता है और इसलिए प्रदर्शन के दायरे से बाहर है। मानसून के आगमन में थोड़ी देरी के बावजूद, प्री-मानसून गतिविधि ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य वर्षा की है। मौसम विभाग के मुताबिक देश के मध्य और पूर्वी भागों में अपेक्षित सीमा से अधिक बरसात हुई है। बिहार 111 प्रतिशत और पूर्वी उत्तर प्रदेश में 89 प्रतिशत से अधिक बरसात हुई है। पश्चिम बंगाल में महीने के दौरान 44 प्रतिशत ही बरसात दर्ज की गई है। मध्य भागों पर बड़ा खतरा मराठवाड़ा और विदर्भ के सूखाग्रस्त इलाकों से पैदा हुआ है। अभी तक के विशलेषण के मुताबिक मौसम विभाग का मानना है कि जून का महीना कभी भी स्थिर प्रदर्शन करने वाला नहीं रहा है। जबकि बड़ी परिवर्तनशीलता वाला रहा है।
मौसम विभाग के मुताबिक जून का महीना कभी भी मानसून के मौसम का एक सटीक संकेतक नहीं रहा है। इसलिए जुलाई और अगस्त के आगामी मुख्य मानसून महीनों के लिए इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। मानसून आम तौर पर मौसम के सभी चार महीनों में ना तो असफल होने और ना ही उत्कृष्ट होने का दावा कर सकता है। जुलाई माह के पहले सप्ताह में कम बारिश के साथ शुरूआत खराब रही है। ये उतार-चढ़ाव मानसून की व्यापक तस्वीर का हिस्सा हैं। आठ जुलाई के तुरंत बाद किसी भी समय मानसून के सामान्य होने और उसके बाद जारी रहने के साथ तीव्र सुधार की उम्मीद है। ऐसे में इस सीजन में अच्छे मानसून की उम्मीदों पर पानी फेरने की उम्मीद नहीं है।
TEAM VOICE OF PANIPAT