वायस ऑफ पानीपत (कुलवन्त सिंह):- SP अजीत सिंह शेखावत व जिला न्यायवादी राजेश चौधरी ने शनिवार को आर्य कॉलेज के सभागार में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन कर पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को तीनों नए कानूनों के बारे में जानकारी देकर जागरूक किया। इस दौरान नए कानूनों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई। SP अजीत सिंह शेखावत ने संबोधित करते हुए कहा कि तीन नए कानून भारतीय न्याय सहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिता 2023 व साक्ष्य अधिनियम 1 जुलाई 2024 से लागू हो रहे हैं। जो भारतीय दंड सहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान लेंगे। पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों इनका गहनता से अध्ययन करें।
*प्रत्येक कार्रवाई के लिए निश्चित समय सीमा निधारित की गई*
नए कानूनों में दिए गए प्रावधानों में प्रत्येक कार्रवाई के लिए निश्चित समय सीमा निधारित की गई। शिकायत मिलने के 3 दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करनी होगी। जिन केसों में 3 से 7 साल का प्रावधान है उन केसों में थाना प्रभारी, उप पुलिस अधीक्षक अथवा उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेकर एफआईआर दर्ज करने से पहले 14 दिन के भीतर प्रारंभिक जांच कर सकेंगे।
प्रारंभिक जांच के बाद एफआईआर दर्ज करनी होगी। एफआईआर दर्ज करने के बाद पीड़ित को मुकदमें की प्रगति बारे एसएमएस या अन्य इलेक्ट्रोनिक्स माध्यमों द्वारा 90 दिनों के अंदर अंदर जानकारी प्रदान की जाएगी।
*नए कानून में समयबद्ध न्याय के लिए माननीय न्यायालय व पुलिस के लिए सीमाएं भी निर्धारित की गई*
नए कानूनों के लागू होने पर ट्रायल कोर्ट को हर फैसला अधिक से अधिक तीन साल में देना होगा। महिला विरूद्व अपराध से संबंधित मामलों में 60 दिन के अंदर अंदर जांच पूरी कर माननीय न्यायालय में चालान पेश करना होगा। दोषी द्वारा चालान की प्रति प्राप्त करने उपरांत 60 दिन के अंदर अंदर माननीय न्यायालय में चार्जशीट करना अनिवार्य होगा। नये कानून के अनुसार इलेक्ट्रोनिक्स माध्यम/वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही रिकार्ड की जा सकेगी। मुकदमें में बहस/दलीलें पूर्ण होनें उपरांत माननीय न्यायालय द्वारा 30 दिन में फैसला देना अनिवार्य होगा व जिससे अधिकतम 45 दिनों की अवधि तक बढ़ाया जा सकता है। अन्य संगीन मामलों में 90 दिन में जांच पूरी कर चालान पेश करना होगा।
नए कानून लागू होने पर पुलिस संगीन मामलों में 60 दिन के अंदर अंदर दौबारा से रिमांड ले सकती है।
संगठित अपराध जो बार बार अपराध करते है ऐसे मामलों में अब कठोर सजा फांसी, उम्रकैद के साथ साथ कम से कम 10 लाख रूपये जुर्माना होगा। जैसे फिरौती मांगना, साइबर अपराध, किडनैपिंग, जमीनों पर कब्जा करना इत्यादी।
संगीन मामलों में पुलिस अब आरोपियों को हथकड़ी लगाकर भी माननीय न्यायालय में पेश सकती हैं। गरीब की जायदा पर जो कब्जा करते है उन पर भी इसमें समयबद्ध कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। नए कानून में छोटे अपराध जिनमें 3 वर्ष से कम की सजा है, उनमें आरोपित यदि 60 वर्ष से अधिक आयु का है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए उप पुलिस अधीक्षक या उससे वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति लेना अनिवार्य। गंभीर अपराध की सूचना पर घटनास्थल पर बिना विचार करे शून्य एफआइआर दर्ज होगी। SP अजीत सिंह शेखावत ने बताया दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के मामलों में जांच दो माह के भीतर पूरी करनी होगी। नए कानून के तहत पीड़ित को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा। इसके अलावा तलाशी अथवा जब्ती की प्रक्रिया के दौरान वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य होगा। सेमिनार के दौरान प्रोजेक्टर के माध्यम से वीडियों दिखाकर वीडियों ग्राफी करने की विधी का प्रशिक्षण दिया गया।
*संगठित अपराध पर विशेष प्रावधान*
नए कानून में संगठित अपराध पर विशेष प्रावधान है। संगठित गैंग, सिंडिकेट चलाने वाले गिरोह के आरोपियों द्वारा अपराध कर काली कमाई से अर्जित की संपत्ति को अटेच करने के प्रावधान बारे विशेष रूप से दिया गया। अब जांच अधिकारी पुलिस अधीक्षक महोदय के माध्यम से माननीय न्यायालय में अपील कर आरोपियों की इस प्रकार से अर्जित की संपत्ति अटेच करवा सकेगा।
*नए कानूनों से आमजन को परिचित कराने के लिए 1 जुलाई को प्रत्येक थाना में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे*
SP अजीत सिंह शेखावत ने कहा कि 1 जुलाई 2024 को जिला के प्रत्येक थाना में कार्यक्रम आयोजित कर सरपंचों व मौजिज लोगों को तीनों नए आपराधिक कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। ताकि वे आगे आमजन को जागरूक कर सकें। जिला न्यायवादी राजेश चौधरी ने सेमिनार में भारतीय न्याय सहिता 2023 की धाराएं के बारे में की जानकारी दी। नए कानून बीएनएस के बारे जानकारी देते हुए बताया कि आईपीसी में योन उत्पीड़न का अभियोग 354ए धारा के तहत दर्ज किया जाता है इसको अब बीएनएस में 75(2) धारा के तहत दर्ज किया जाएगा। दुष्कर्म को 376 धारा में दर्ज किया जाता है बीएनएस में 64 धारा के तहत दर्ज किया जाएगा। इसी प्रकार अन्य धारा के नंबरों में बदलाव किया गया। भारतीय दंड सहिता में (आईपीसी) में 511 धाराएं थी लेकिन भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में 358 धाराएं रह गई है। सेनीनार में उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय संदीप कुमार, उप पुलिस अधीक्षक सतीश कुमार गौतम, उप पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह, उप पुलिस अधीक्षक सुरेश सैनी व उप पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार व सभी थाना प्रबंधक, क्राइम युनिट इंचार्ज, चोकी इचार्ज व काफी सख्या में अनुसंधानकर्ता व अन्य पुलिकर्मी मौजूद रहे।
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