वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)- हरियाणा की राजनीति में अक्सर तीन लालों का जिक्र होता है। देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल। इन तीनों लालों ने अपने दमखम के बूते न केवल प्रदेश, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में खूब नाम कमाया। पिछले सात साल से हरियाणा की बागडोर संभाल रहे मनोहर लाल ने भी राजनीति के चौथे लाल के रूप में अपनी पहचान बनाई है। हरियाणा के इन चारों लालों का यूं तो पूरे देश में दबदबा रहा है, लेकिन उन्हें यह पहचान अपने-अपने गढ़ से बाहर निकलकर राजनीति करने पर मिली है। देवीलाल की शुरुआती पहचान उनके सिरसा जिले से होती है। बंसीलाल का गढ़ भिवानी जिला रहा है और भजनलाल का इलाका हिसार माना जाता है।
मनोहर लाल यूं तो रोहतक जिले के रहने वाले हैं, लेकिन करनाल से दो बार चुनाव लड़ चुके तो दोनों जिलों के गढ़ में उनकी पूरी पैठ है। लालों की इस राजनीति के बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पकड़ भी कम नहीं है। राजनीति के इन दिग्गजों का जिक्र यहां इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने वाला है। ताऊ देवीलाल के पौत्र और इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला द्वारा तीन कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा देने से ऐलनाबाद सीट खाली हुई थी।
हरियाणा में भाजपा एवं जजपा गठबंधन की सरकार के दो साल के कार्यकाल में यह दूसरा उपचुनाव हो रहा है। इससे पहले सोनीपत जिले की बरौदा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने इस गढ़ में कांग्रेस के उम्मीदवार इंदुराज नरवाल को जिताने में कामयाब रहे थे। कांग्रेस ने तब भाजपा-जजपा गठबंधन के प्रत्याशी पहलवान योगेश्वर दत्त को पराजित कर दिया था। अब ऐलनाबाद का रण सभी राजनीतिक दलों के सामने है। यह ताऊ देवीलाल परिवार की परंपरागत सीट ही है। देवीलाल के परिवार में राजनीतिक फूट पड़ने की वजह से पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो विघटन का शिकार हुई और जननायक जनता पार्टी के रूप में अलग दल सामने आया, जिसकी बागडोर देवीलाल के बड़े पोते अजय सिंह चौटाला और प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला संभाल रहे हैं। वे भाजपा के साथ सरकार में साझीदार हैं।
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