वायस ऑफ पानीपत (शालू मौर्या):- पितृ पक्ष हिंदू धर्म में पूर्वजों को समर्पित एक विशेष समय होता है.. जिसमें हम अपने पितरों को श्रद्धा और समान अर्पित करते है.. ये आमतौर पर 15 दिनों का समय होता है… जो भाद्रपद महीने की पूर्णिमा से शुरू होकर अमावस्या तक चलता है.. इस समय पूर्वजों की आत्मा की शांति और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए विशेष कर्म किए जाते हैं.. पितृपक्ष में किए गए धार्मिक और पवित्र कार्यों से कई लाभ हो सकते हैं..
*घर पर गंगाजल से करें तर्पण*
तर्पण के माध्यम से पूर्वजों को जल अर्पित किया जाता है,, यह कार्य विशेष रूप से किसी पवित्र नदी या तीर्थ स्थान पर किया जाता है। यदि यह संभव न हो, तो घर पर भी पवित्र जल (गंगाजल) से तर्पण कर सकते हैं। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं..उन्होंने बताया कि पितृपक्ष में गरीबों, ब्राह्मणों, और जरूरतमंदों को दान देने से विशेष पुण्य मिलता है.. भोजन, वस्त्र, धन और अनाज का दान किया जा सकता है.. इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य लाता है..
*पितृपक्ष में व्रत भी रख सकते है*
पितृपक्ष में व्रत रखना भी लाभकारी होता है.. इस समय पवित्रता और समय का पालन करते हुए अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान प्रतिदिन सुबह और शाम अपने पूर्वजों के नाम का स्मरण कर उनके लिए प्रार्थना करें। इससे जीवन के कई संकट और बाधाएं दूर हो सकती हैं, और पितरों का आशीर्वाद सदैव आपके साथ रहता है.. महालय अमावस्या पितृ पक्ष का अंतिम दिन, जिसे महालय अमावस्या कहा जाता है, विशेष महत्व रखता है। यह दिन उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जिन्हें अपने पितरों की तिथि ज्ञात नहीं होती या जो सभी पितरों को एक साथ श्रद्धांजलि देना चाहते हैं.. महालय अमावस्या पर विशेष पूजा, तर्पण और दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है..
TEAM VOICE OF PANIPAT