वायस ऑफ़ पानीपत (देवेंद्र शर्मा ) :- नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा प्याज के ऊपर स्टॉक लिमिट लगाने के साथ ही आयात को सुगम करने के लिए भी नियमों में ढील दिया गया है। प्याज इंपोर्ट पर यह ढील 15 दिसंबर 2020 तक रहेगी।इसके अलावा सरकार खुले बाजार में प्याज की बिक्री भी कर रही है।सरकार के इन फैसलों के बावजूद प्याज की बढ़ती कीमतों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।मौजूदा त्यौहारी सीजन में प्याज के साथ ही महंगी सब्जियों ने आम आदमी के किचन को पूरी तरह से तहस नहस कर दिया है।
घरेलू बाजार में उपलब्धता बढ़ाने और प्याज की बढ़ती कीमतों से उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को खुदरा और थोक विक्रेताओं दोनों पर तत्काल प्रभाव से 31 दिसंबर तक के लिये स्टॉक सीमा लागू कर दी थी।खुदरा व्यापारी अपने गोदाम में अब केवल दो टन तक प्याज का स्टॉक रख सकते हैं, जबकि थोक व्यापारियों को 25 टन तक प्याज रखने की अनुमति होगी।यह कदम प्याज की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिये उठाया गया है।पिछले कुछ हफ्तों में भारी बारिश के कारण उत्पादक क्षेत्रों में प्याज की खरीफ फसल को पहुंचे नुकसान और उसके साथ-साथ इसकी जमाखोरी के कारण प्याज की कीमतें बढ़कर 75 रुपये प्रति किलो से ऊपर पहुंच गई हैं।सरकार ने पिछले दिनों प्याज की जमाखोरी को रोकने के लिए स्टॉक लिमिट लगाने का ऐलान किया। कारोबारी प्याज पर स्टॉक लिमिट का विरोध कर रहे हैं. सोमवार को नासिक मंडी में थोक कारोबारियों ने स्टॉक लिमिट के विरोध में प्याज की खरीदारी नहीं की थी।कारोबारियों का कहना है कि स्टॉक लिमिट की वजह से आयातकों को जहां फायदा हुआ है, वहीं हमें काफी नुकसान उठाना पड़ा है।कारोबारी स्टॉक लिमिट के बजाए टाइम लिमिट की मांग उठा रहे हैं।
TEAM VOICE OF PANIPAT