वायस ऑफ पानीपत (सोनम गुप्ता):- हरियाणा के शिक्षण संस्थान अब सिर्फ पारंपरिक शिक्षा पद्धतियों को ही नहीं ढ़ोते रहेंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार ने इनमें अब आमूल-चूल परिवर्तन का बीड़ा उठाया है। इसके चलते प्रदेश का हर स्कूल अब डिजिटल हो जाएगा। कालेजों में स्मार्टक्लास रूम बनेंगे तो विश्वविद्यालय आनलाइन ही विदेशी विद्यार्थियों को हरियाणवी और भारतीय संस्कृति के कोर्स कराएंगे।। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी डिजिटल विशेषज्ञता को अब स्कूल-कालेजों तक लागू करने का मसौदा तैयार किया है। बजट 2022-23 में उन्होंने प्रदेश के सभी स्कूलों को डिजिटलाइज्ड करने की घोषणा तो की ही, साथ ही इसके लिए बड़ी बजट राशि भी प्रस्तावित किया। शिक्षा क्षेत्र में पिछले बजट की तुलना में 17.6 प्रतिशत बढ़ोतरी करते हुए इस बार 20250.57 करोड़ रुपये की घोषणा की। इसके अंतर्गत संस्कृत माडल स्कूलों की संख्या 138 से बढ़ाकर 500 की जाएगी और इनमें पांचवीं कक्षा से ही अब कंप्यूटर शिक्षा प्रदान की जाएगी। अटल टिंकरिंग लैब की तर्ज पर 50 स्टैम लैब स्थापित होंगी, जहां विद्यार्थियों को 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियलिटी का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
आठवीं से 12वीं कक्षा तक के भौतिकी और गणित में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जैसे प्रख्यात विज्ञान संस्थानों में भ्रमण कराया जाएगा। इन कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए विषयवार ओलंपियाड शुरु होंगे ताकि उन्हें प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया जा सके। जिला व राज्य स्तर पर पुरस्कार दिए जाएंगे। आगामी शैक्षणिक सत्र से 10वीं से 12वीं कक्षा तक के सभी विद्यार्थियों को टैबलेट प्रदान किए जाएंगे। सभी सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में पुस्तकालय खोले जाएंगे। इस शैक्षणिक सत्र से स्कूलों स्कूलों में होगी स्वास्थ्य की जांच में स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिसके तहत इनमें पढ़ने वाले 25 लाख विद्यार्थियों की साल में दो बार स्वास्थ्य जांच की जाएगी। इन्हें पास के प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल से जोड़ा जाएगा। बच्चों से जुटाए गए डेटा को ई-उपचार पोर्टल से जोड़ा जाएगा ताकि डिजिटल स्वास्थ्य रिकार्ड कहीं भी उपलब्ध हो सके। कोरोना में भले ही शिक्षण-अध्यापन को डिजिटल तरीके से जोड़ा गया हो, लेेकिन इससे पूरी कमियां दूर नहीं हो सकी। मुख्यमंत्री ने महसूस किया कि सेवारत प्रतिरक्षा और अर्द्धसैनिक कार्मिकों के बच्चों को समय-समय पर अतिरिक्त शैक्षणिक सहायता की जरूरत होती है। इसके लिए उन्होंने अब सरकारी स्कूलों को छुट्टी के बाद पहली से 10वीं कक्षा तक के ऐसे विद्यार्थियों की कोचिंग के लिए खोलने की घोषणा की है। जिला परिषद के माध्यम से स्थानीय युवाओं को उनके शैक्षिक स्तर के आधार पर इस कार्य के लिए नियुक्त किया जाएगा।
सरकार ने ट्विनिंग प्रोग्राम के माध्यम से सरकारी और निजी स्कूलों को जोड़ने की योजना बनाई है ताकि विद्यार्थी एक-दूसरे से सीखे सकें। चिन्हित सरकारी स्कूलों में आडियो-विजुल कक्षाएं स्थापित की जाएंगी और उन्हें एक भागीदार निजी स्कूल से जोड़ा जाएगा। ये स्कूल सांझा प्रशिक्षण और सीखने के संसाधन जुटाएंगे। इस तरह सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी निजी स्कूलों की पढ़ाई की तकनीक से सीख पाएंगे। सभी अच्छे शिक्षक अच्छे प्राचार्य नहीं हो सकते। इस अवधारणा को लेकर चल रही सरकार अब शिक्षकों को हेड टीचर, हेड मास्टर और प्राचार्य की भूमिका निभाने के लिए नेतृत्व प्रशिक्षण देगी। इसके लिए मुख्यमंत्री ने शैक्षणिक संस्थान नेतृत्व विकास कार्यक्रम शुरु करने की घोषणा की है, जो मुखिया के तौर पर नियुक्त होने वालों के लिए अनिवार्य होगा। हरियाणा को उच्च शिक्षा के मानचित्र पर लाने के लिए राज्य विश्वविद्यालयों को भारतीय भाषाओं, भारतीय कला एवं संस्कृति, ज्योतिष शास्त्र और आयुर्वेद पर आनलाइन पाठ्यक्रम शुरु किए जाएंगे। यह कोर्स हमारी प्राचीन भाषाओं और हस्तलिपि में सीखने, अध्ययन और शोध के लिए विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करेंगे।
TEAM VOICE OF PANIPAT