वायस ऑफ पानीपत (कुलवन्त सिंह):- HARYANA में मनमानी फीस बढ़ोतरी को लेकर अभिभावकों व प्राइवेट स्कूलों के बीच हर साल होने वाले विवाद पर सरकार ने विराम लगा दिया है। हरियाणा सरकार ने कानून बनाकर अब प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कस दिया। वह न तो मनमानी फीस वसूल सकेंगे और न ही किसी अन्य मद में अभिभावकों पर फंड देने के लिए दबाव बना सकेंगे। प्रदेश सरकार ने व्यवस्था की है कि कोई भी स्कूल हर साल नौ से 10 प्रतिशत वार्षिक से ज्यादा फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेगा। उत्तर प्रदेश में भी ऐसी ही व्यवस्था है।
उदाहरण के लिए यदि कोई प्राइवेट स्कूल किसी बच्चे से एक लाख रुपये वार्षिक फीस वसूलता है तो उसे सिर्फ नौ से 10 हजार रुपये की बढ़ोतरी का अधिकार होगा। इससे अधिक फीस वसूलने पर स्कूल संचालकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमों में बदलाव कर प्रदेश सरकार ने दो श्रेणी के बजट स्कूलों को इसमें राहत भी प्रदान की है।
इसी तरह 12वीं क्लास तक पढ़ाने वाले ऐसे प्राइवेट स्कूल, जो बच्चों से 15 हजार रुपये वार्षिक तक फीस वसूल करते हैं, उन पर भी नए संशोधित नियम लागू नहीं होंगे। इन स्कूलों को भी 10 प्रतिशत से अधिक फीस बढ़ोतरी की छूट दी गई है। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि ऐसे स्कूल अपने यहां क्वालिटी एजुकेशन में बढ़ोतरी कर सकेंगे तथा साथ ही स्टाफ को बढ़ोतरी के लिए वेतन देने के लिए अतिरिक्त बजट की व्यवस्था कर सकेंगे। पांचवीं क्लास तक वाले ऐसे प्राइवेट स्कूल, जो किसी भी बच्चे से 12 हजार रुपये तक वार्षिक फीस वसूलते हैं, उन पर यह नियम लागू नहीं होंगे। मतलब वह अपनी फीस में 10 प्रतिशत से अधिक भी बढ़ोतरी कर सकते हैं।
हरियाणा में करीब 16 हजार प्राइवेट स्कूल हैं, जिनकी मनमानी पर अब रोक लग सकेगी, लेकिन इनमें भी 60 प्रतिशत स्कूल ऐसे हैं, जो बच्चों से अधिक फीस वसूलते हैं। 12 से 15 हजार रुपये वार्षिक फीस वसूलने वाले स्कूलों में हर पांच साल बाद यह राशि संशोधित होगी। प्रदेश सरकार के इन नए नियमों से बड़े तथा अधिक फीस वसूलने वाले प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर रोक लग सकेगी। सरकार ने नियम बनाया है कि ऐसे स्कूल हर साल पांच प्रतिशत और साढ़े तीन से साढ़े चार प्रतिशत तक प्राइस इंडेक्स को जोड़कर ही फीस वसूल सकते हैं। इससे ज्यादा वसूलने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी।
TEAM VOICE OF PANIPAT