वॉयस ऑफ पानीपत (कुलवन्त सिंह)- बेसहारा पशुओं को शहर से हटाकर लोगों को सुरक्षित करने को लेकर प्रशासन पूरी तरह से उदासीन है। शायद यही कारण है कि “जिला स्ट्रे कैटल फ्री’ यानी जिले को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने के लिए जो कमेटी बनाई गई, 4 साल में इसकी एक मीटिंग तक नहीं हुई। सरकार की दखल के बाद पशुओं से जिले को फ्री करने के लिए 23 मई 2018 को हरियाणा गो सेवा आयोग की 13वीं मीटिंग में फैसला लिया गया कि जिला लेवल पर एक कमेटी बनेगी। जो पूरे जिले को स्ट्रे कैटल फ्री करने के लिए काम करेगी।
एडीसी को इसका चेयरमैन, पशु पालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर को सचिव बनाया गया। इसमें डीडीपीओ, गो सेवा अयोग के सदस्य, निगम कमिश्नर, संबंधित डीएसपी, संबंधित एसडीएम और जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) को सदस्य बनाया गया, लेकिन 4 साल में इस कमेटी की एक भी मीटिंग नहीं हुई, जिसमें गोवंश को जिले से फ्री करने पर चर्चा हुई हो। आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने इस संबंध में आरटीआई लगाकर कमेटी का सच उजागर किया, लेकिन न कोई कार्रवाई हुई और न ही गोवंश हटे। प्रशासन की बेपरवाही का नतीजा आमलोग रोजाना भुगत रहे हैं।
कमेटी के सचिव, पशु पालन विभाग के उपनिदेशक और जिला गोवंश डिवेलपमेंट ऑफिसर डॉ. संजीव अंतिल कहते हैं कि कमेटी के प्रयास से ही 1600 पशु नैन भेजे गए। उपनिदेशक ने लोगों को ही इसका जिम्मेदार ठहराया। कहा कि लोग दूध निकालकर गाय को छोड़ देते हैं। कमेटी की मीटिंग पर सचिव ने कहा कि बगैर मीटिंग के गोवंश नैन नहीं पहुंच गए। गोसेवा आयोग के सदस्य कुलबीर खर्ब ने कहा कि यह सच है कि कमेटी के लेवल कुछ नहीं हुआ। दो साल पहले नैन गो अभ्यारण में पशु छोड़े गए। तब नगर निगम की ओर से यह कहा गया कि निगम एरिया में गोशाला बनाकर बेसहारा पशुओं को रखा जाएगा। इसके बाद जिले में पांच नई गोशाला बन गई, लेकिन न गोशाला बनी और न ही पशु हटे। इसलिए यह हाल है।
वहीं माॅडल टाउन निवासी मुकेश गर्ग ने कहा कि 15 दिन पहले शिवाजी स्टेडियम के पास स्कूटी सवार महिला व बच्चे काे सांड ने टक्कर मार दी। दाेनाें घायल हाे गए। मैं भी वहीं से गुजर रहा था। मैंने महिला व बच्चे काे उठाया ताे सांड मेरे पीछे ही दाैड़ पड़ा। बड़ी मुश्किल से खुद को व उन दोनों को बचाया।वहीं दूसरा मामला न्यू मुखिजा काॅलाेनी का है जहां के निवासी बीर सिंह ने बताया कि एक सांड कई साल से हमारी गली में घूमता रहता है। इसने पड़ाेसी बुजुर्ग की जान ले ली थी। बहुत काेशिशाें के बाद भी इसे भगा नहीं पा रहे हैं। इसके सामने जाे भी आता है, उसे ही टक्कर मारता है।
सूर्या किसान सेवा संघ फाउंडेशन के प्रधान ओमपाल राठी ने कहना कि शहर में एक भी गाय माता व बैल आवारा नहीं रहना चाहिए। इसके लिए जिला प्रशासन व जनता सहयोग करे तो हमारी एनजीओ दो माह में ही शहर को आवारा पशुओं से मुक्त कर सकती है। इसके लिए गांव गांजबड़ गौचारण की करीब 10 एकड़ जमीन फाउंडेशन काे दिलवाई जाए। इसमें सड़काें पर घूम रही गाय, बछड़े, बैल व सांड काे रखा जाएगा। मेयर, कमिश्नर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर में चर्चा हुई कि निगम एक्ट का अध्ययन करेंगे। अगर इसके लिए पब्लिक पर पांच-दस रुपए टैक्स लगाने का प्रावधान होगा तो लगाकर पशुओं से राहत दिलाएंगे, बड़े बजट की जरूरत पड़ेगी। मेयर ने कहा कि पार्षदों के साथ मीटिंग कर लेते हैं। चूंकि हर माह 35-40 लाख रुपए का खर्च आना है। इतनी रकम तो निगम नहीं देगा। इसलिए, संस्था बनाकर शहर वासियों से राशि इकट्ठा करने पर चर्चा हुई तो संस्था को शामिल किया जाएगा।
TEAM VOICE OF PANIPAT