वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)
हरियाणा कांग्रेस में बड़े बदलाव किए गए है..राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा को हरियाणा कांग्रेस की कमान दी गई है। इसके साथ ही पार्टी आलाकमान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा विधानसभा चुनाव में चुनाव अभियान कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है। हुड्डा किरण चौधरी की जगह कांग्रेस विधायक दल के प्रधान भी होंगे।
यह घोषणा कांग्रेस के हरियाणा प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने की। आजाद ने कहा कि कुमारी सैलजा हरियाणा कांग्रेस की नई अध्यक्ष होंगी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा चुनाव कमेटी के प्रधान और कांग्रेस विधायक दल के नेता होगे। इसके साथ ही हुडडा हरियाणा विधानसभा में नेता विपक्ष भी होंगे। इससे पहले बुधवार को दोपहर बाद हुड्डा की सोनिया गांधी के साथ बैठक हुई। यह बैठक करीब दो घंटे तक चली। इसके बाद हरियाणा कांग्रेस में बदलाव का ऐलान किया गया ।
कांग्रेस के इस कदम से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को कड़ा झटका लगा है। हुड्डा खेमा किसी भी कीमत पर तंवर को हटाना चाहता था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा इसके लिए आलाकमान पर काफी समय से दबाव बना रहे थे। उन्होंने इसके लिए बागी तेवर भी दिखाए थे। इसके साथ ही बताया जा रहा है कि पार्टी में कुछ कार्यकारी अध्यक्ष भी हो सकते हैं…
जानकारी के अनुसार हुड्डा और सोनिया गांधी की मुलाकात नई दिल्ली में दस जनपथ पर हुई। इस दौरान हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी गुलाम नबी आजाद सहित कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। बता दें कि कुमारी सैलजा कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व की करीबी मानी जाती हैं। पार्टी ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान उनको वहां की अहम जिम्मेदारी दी थी।
बता दे कि हरियाणा कांग्रेस में अशोक तंवर और हुड्डा खेमे में अरसे से घमासान मचा हुआ है। इसे समाप्त कराने के लिए पार्टी नेतृत्व द्वारा किए गए सभी प्रयास विफल रहे। हुड्डा चाहते थे कि तंवर को हटाकर उनको हरियाणा कांग्रेस की कमान दे दी जाए। कांग्रेस आलाकमान ने हुड्डा की मांग नहीं मानी तो उन्होंने बागी तेवर भी दिखाए और 18 अगस्त को रोहतक में महा परिवर्तन रैली की कांग्रेस से अलग राह अपनाने के भी संकेत दिए थे।
रैली में आगे की सियासी राह पर विचार करने लिए हुड्डा ने कमेटी बनाने की घोषणा कर दी। इसके बाद भी अलाकमान ने तव्वजो नहीं दीतो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 38 सदस्यीय कमेटी बना दी और कहा कि कमेटी जो तय करेगी वह उसी सियासी राह को अपनाएंगे। बाद में उनकी कमेटी की एक सदस्य शारदा राठौर भाजपा में शामिल हो गई…
इसके बाद हुड्डा ने मंगलवार को 37 सदस्यीय कमेटी में शामिल नेताओं की बैठक बुलाई और अपनी अगली रणनीति के लिए राय ली। बैठक में उनके ज्यादातर समर्थकों ने अलग पार्टी बनाने के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया और कांग्रेस में ही रहने की सलाह दी। हुड्डा के गढ़ रोहतक, सोनीपत और झज्जर के समर्थक नेताओं की राय छोड़ दें तो अन्य जिलों के नेताओं ने अलग पार्टी बनाने की रणनीति से अपने को अलग रखा। ज्यादातर नेताओं ने हुड्डा को कांग्रेस में रहकर ही हाईकमान के अनुसार संगठन मजबूत करके अपने राजनीतिक हित साधने का सुझाव दिया।
हुड्डा ने राज्य विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एचएस चड्ढा और कमेटी के संयोजक कांग्रेस विधायक उदयभान के साथ सभी नेताओं से अलग-अलग चर्चा की। बाद में पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा ने बताया कि कमेटी के सभी सदस्यों ने अंतिम फैसला पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर छोड़ दिया। बैठक के बाद पूर्व वित्त मंत्री संपत सिंह ने साफ तौर पर कहा कि राज्य में कांग्रेस की हालत काफी पतली है। अब कांग्रेस संगठन सिर्फ मरहम पट्टी से मजबूत नहीं हो सकता। पांच साल तक राज्य में कांग्रेस की जिला और ब्लॉक स्तर पर इकाई नहीं रही है। ऐसे में बिना संगठन के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कोई खास करिश्मा नहीं कर पाएगी। इसलिए पार्टी हाईकमान को राज्य संगठन में बड़ा आपरेशन करना होगा।
TEAM VOICE OF PANIPAT