वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा) -: हरियाणा मेें कभी शराब घोटाला तो कभी पीटीआई घोटाला खबरों में छाया रहता है और अब एक नया घोटाला सामने आया है। जो रेलवे लाइन से जुड़ा है दरअसल सालों पहले बिछाई गई पूरी रेल लाइन ही गायब हो गई है और किसी को इसके बारे में भनक तक नहीं लगी। ये रेल लाइन एक समय लाहौर तक आटा पहुंचाने के लिए फैक्टरी से अंबाला छावनी स्टेशन तक बिछाई गई थी।रेलवे प्रशासन को इस मामले में ध्यान देने को जहमत नहीं उठाना चाहता कि रेलवे लाइव कहां और कैसे गायब हो गई। ये रेललाइन बीडी फ्लोर मिल से अंबाला छावनी स्टेशन तक जुड़ी थी। मिल से मालगाड़ी में आटा लोड होकर लाहौर के लिए रवाना होता था। यह मिल एशिया की बड़ी मिलों में शुमार थी। मिल बंद होने के बाद रेलपटरी गायब हो गई। वहीं इस पटरी का मालिकाना हक किसका है, इस बारे में भी आज तक कोई दस्तावेज रेलवे के रिकॉर्ड में नहीं है।पटरी गायब होने में रेल अधिकारी संदेह के घेरे में हैं, जिन्होंने पटरी उखाडऩे के लिए एनओसी जारी की थी। हैरानी यह है कि अंबाला रेल मंडल ने फाइलों में पटरी का मालिकाना हक मिल संचालकों को देने पर आपत्ति उठाई थी, लेकिन दिल्ली के आला अधिकारियों ने मेहरबानी की थी। बुधवार को ओल्ड ग्रांट के नियमों का उल्लंघन होने पर प्रशासन ने करीब साढ़े छह एकड़ जमीन कब्जे में ले ली है। जमीन कब्जे में लेने के बाद भी अब पटरी को लेकर भी मामला उठा है।
सूत्रों के मुताबिक मिल का बाहरी हिस्सा नगर परिषद से लीज पर लेकर मिल से होकर छावनी रेलवे स्टेशन तक पटरी बिछाई गई थी। मिल बंद होने के बाद करीब चार दशक तक रेल पटरी बिछी रही, लेकिन कोई भी पटरी के मालिकाना हक के लिए सामने नहीं आया। करीब 20 साल पहले पटरी के मालिकाना हक के लिए रेलवे में कागजी कार्रवाई शुरू हुई।
वहीं अंबाला मंडल के इंजीनियरिंग विभाग ने फाइलों पर आपत्ति लगा दी। इसके बावजूद दिल्ली से सीधा एनओसी जारी कर दी गई कि यह पटरी मिल संचालक उखाड़ लें, जिसे लेकर रेलवे को कोई आपत्ति नहीं है। आज भी रेलवे के रिकॉर्ड में कहीं भी यह जिक्र नहीं है कि इस पटरी का मालिकाना हक किसका था। करीब तीन किलोमीटर रेललाइन पर रेल अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह में हैं।
TEAM VOICE OF PANIPAT