वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)- नए साल यानि 1 जनवरी 2022 से आपके जीवन से जुड़े कई नियमों में बदलाव आने वाला है। इन नियमों में बैंक से पैसा निकालने से लेकर जमा करने, तक कई नियम है। जीएसटी कानून में बदलाव आ जाएगा। जीएसटी काउंसिल ने फुटवियर और टेक्सटाइल सेक्टर में इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर में भी कुछ बदलाव किए हैं। आपको बता दें कि ये सभी बदलाव 1 जनवरी 2022 से लागू होंगे।
आपको बता दें कि ऑनलाइन पेमेंट को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने नियमों में बदलाव किया है। अब ऑनलाइन पेमेंट करते समय आपको 16 डिजिट वाले डेबिट या क्रेडिट कार्ड नंबर समेत कार्ड की पूरी डिटेल्स भरनी होंगी। यानी अब ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल पेमेंट के दौरान मर्चेंट वेबसाइट या ऐप आपके कार्ड की डिटेल स्टोर नहीं कर सकते। जो पहले से सेव जानकारी होगी, वह हटा दी जाएगी।
इसके बाद इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के अकाउंट होल्डर्स को एक लिमिट से कैश निकालने और डिपॉजिट करने पर चार्ज देना होगा। यह नियम 1 जनवरी 2022 से लागू हो जाएगा। IPPB में तीन तरह के सेविंग अकाउंट्स खोले जा सकते हैं। जिसमें कई तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के मुताबिक बेसिक सेविंग्स अकाउंट से हर महीने चार बार कैश निकालना फ्री है। लेकिन इसके बाद हर निकासी पर कम से कम 25 रुपये रुपये देने होंगे। हालांकि बेसिक सेविंग्स अकाउंट पर पैसे जमा करने पर कोई चार्ज नहीं लगेगा।
आपको ये भी बता दें कि अब गूगल प्ले स्टोर पर आपकी पेमेंट करने की कार्ड डिटेल सेव नहीं होगी। जो पहले से दर्ज जानकारी है, वो हट जाएगी। आपको पेमेंट करने के लिए फिर से अपनी जानकारी भरनी होगी। इसी के साथ हर महीने की पहली तारीख को रसोई गैस की कीमतें तय होती है। इस बार देखना होगा कि 1 जनवरी 2022 को नये साल के दिन सिलेंडर की कीमतों में इजाफा होता है या नहीं। बढ़ती महंगाई के साथ नए टैक्स रेट के मुताबिक अब जूतों पर 12 फीसदी टैक्स लगेगा और अब इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की जूतों की कीमत क्या है। यानी 100 रुपये के जूतों पर भी 12 फीसदी टैक्स देना होगा। कॉटन को छोड़कर सभी कपड़ा प्रोडक्ट पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। रेडीमेड गारमेंट पर भी 12 फीसदी जीएसटी लगेगा। स्टार्टअप द्वारा दी जाने वाली ट्रांसपोर्ट सर्विस पर भी 5 फीसदी जीएसटी लगेगा। अगर ऑटोरिक्शा ड्राइवर सर्विस दे रहा ऑफलाइन मोड पर तो जीएसटी नहीं लगेगा।
1 जनवरी से स्विगी और ज़ोमैटो जैसे ई-कॉम स्टार्टअप उनके द्वारा दी जाने वाली सर्विस पर जीएसटी लेंगे। उन्हें अब ऐसी सर्विस के लिए चालान सरकार को जमा करने होंगे। हालांकि, इससे अंतिम कस्टर्स यानी आपकी जेब पर बहुत अधिक बोझ नहीं पड़ेगा। अभी वही टैक्स रेस्टोरेंट ले रहा है। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि बीते 2 सालों में खाने की डिलीवरी करने वाले ऐप्स 2000 करोड़ का खराब प्रदर्शन दिखा चुके थे। सरकार को लगता है कि ऐसा करने से टैक्स कलेक्शन बढ़ जाएगा।
TEAM VOICE OF PANIPAT