वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)- आज दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का फैसला हो जाएगा। बुधवार को केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बीच सहमति बन गई है। मुद्दों में केसों की तत्काल वापसी के साथ MSP कमेटी समेत कुल 5 मांगें शामिल हैं। अब मोर्चे को केंद्र सरकार से मांगों के सहमति ड्राफ्ट पर आधिकारिक चिट्ठी का इंतजार है। 12 बजे SKM की सिंघु बॉर्डर पर मीटिंग है। उससे पहले चिट्ठी आ गई तो किसान आंदोलन को मुल्तवी कर दिया जाएगा।
MSP केंद्र सरकार कमेटी बनाएगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि लिए जाएंगे। अभी जिन फसलों पर MSP मिल रही है, वह जारी रहेगी। MSP पर जितनी खरीद होती है, उसे भी कम नहीं किया जाएगा। हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार केस वापसी पर सहमत हो गई है। दिल्ली और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के साथ रेलवे द्वारा दर्ज केस भी तत्काल वापस होंगे।
वहीं मुआवजे पर भी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सहमति बन गई है। पंजाब सरकार की तरह ही यहां भी 5 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। किसान आंदोलन में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हुई है। इसके बाद बिजली संशोधन बिल को सरकार सीधे संसद में नहीं ले जाएगी। पहले उस पर किसानों के अलावा सभी संबंधित पक्षों से चर्चा होगी। वहीं प्रदूषण कानून को लेकर किसानों को सेक्शन 15 से आपत्ति थी। जिसमें किसानों को कैद नहीं, लेकिन जुर्माने का प्रावधान है। इसे केंद्र सरकार हटाएगी
केंद्र सरकार ने इस बार सीधे संयुक्त किसान मोर्चा की 5 मेंबरी हाईपावर कमेटी से मीटिंग की। हाईपावर कमेटी के मेंबर बलबीर राजेवाल, गुरनाम चढ़ूनी, अशोक धावले, युद्धवीर सिंह और शिवकुमार कक्का नई दिल्ली स्थित ऑल इंडिया किसान सभा के ऑफिस पहुंचे, जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के अफसर भी जुड़े। सबसे बड़ा पेंच केस पर फंसा था, जिसे तत्काल वापस लेने पर केंद्र राजी हो गया। हरियाणा का तर्क था कि सरकार ने जाट आंदोलन भी केस वापस लेने की बात कहकर खत्म कराया, लेकिन लोग अब भी कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। हालांकि पंजाब के किसान नेताओं का तर्क है कि जाट आरक्षण वाला हारा हुआ आंदोलन था। यह आंदोलन जीता हुआ है और इसकी पूरी लीडरशिप है। जरूरत पड़ी तो किसी भी वक्त आंदोलन को खड़ा कर सकते हैं। वहीं आज दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का फैंसला हो जाएगा।
TEAM VOICE OF PANIPAT