वायस ऑफ पानीपत (सोनम):- पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड का मास्टरमाइंड और कुख्यात गैंगस्टर सचिन बिश्नोई दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अजरबैजान से दिल्ली लेकर आ गई है.. रविवार को स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट के एक एसीपी, दो इंस्पेक्टर समेत करीब चार अधिकारियों की टीम अजरबैजान गई थी.. लारेंस बिश्नोई के भांजे गैंगस्टर सचिन बिश्नोई को हाल ही में अजरबैजान में वहां की एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था..
सचिन बिश्नोई भारत में रहकर कई आपराधिक घटनाओं में शामिल था.. उसने ही सिद्धू मूसेवाला की हत्या कराने की योजना बनाई थी.. वह वारदात से पहले दिल्ली से फर्जी पासपोर्ट बनवाकर अजरबैजान भाग गया था.. मूसेवाला की हत्या के बाद सचिन ने इंटरनेट मीडिया पर हत्याकांड की जिम्मेदारी भी ली थी.. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सचिन के दिल्ली आने के बाद कई बड़े मामलों काे सुलझाया जाएगा.. हाल के दिनों में दिल्ली समेत अन्य राज्यों में कारोबारियों से लॉरेंस के नाम पर रंगदारी मांगने के मामले भी आए थे.. इसमें सचिन की भूमिका सामने आई है.. जून माह में दुबई के एक कारोबारी से भी सचिन ने 50 करोड़ की रंगदारी मांगी थी.. इन सब मामलों के सिलसिले में भी दिल्ली पुलिस सचिन से गहन पूछताछ करेगी..
इस मामले में पंजाब पुलिस की ओर से कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है.. लेकिन मुख्य आरोपित जो विदेशों में बैठे है उन्हें वापस लाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के साथ प्रयास किए जा रहे है.. ध्यान रहे कि पिछले हफ्ते राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस में लॉरेंस बिश्नोई के बेहद खास गुर्गे विक्रम बराड़ को यूएई से गिरफ्तार किया था..
सिद्धू मूसेवाला की हत्या 29 मई 2022 को पंजाब के मंसा जिले में की गई थी.. इस हत्याकांड की जिम्मेदारी लेने वाले लारेंस बिश्नोई का बेहद करीबी गैंगस्टर सचिन बिश्नोई हत्या से पहले 21 अप्रैल 2022 तक भारत में था.. उसके बाद उसने फर्जी नाम से पासपोर्ट बनवाया था और भारत से फरार हो गया था.. सचिन बिश्नोई का फर्जी पासपोर्ट दिल्ली के संगम विहार इलाके के एक पते पर बनाया गया था..
सचिन को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में भारी सुरक्षा के बीच स्पेशल सेल काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट अदालत के समक्ष पेश करेगी और उसकी रिमांड लेगी.. सचिन जुलाई 2020 से अजरबैजान में डिटेंशन सेंटर में बंद था.. वहीं, इस मामले में गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारी खुद बारीकी से नजर बनाए हुए थे और दिल्ली पुलिस लगातार गृह मंत्रालय के संपर्क में थी..
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