वायस ऑफ पानीपत (सोनम):- अब बिना लैब टेस्ट के कोई भी फार्मास्युटिकल कंपनी कफ सिरप को विदेश में एक्सपोर्ट नहीं कर सकेगी। केंद्र सरकार ने इसके लिए नियमों में बदलाव किया है। अब कंपनियों को निर्यात से पहले किसी भी सरकारी लैब से कफ सिरप का टेस्ट कराना जरूरी होगा। सरकार के इस बदलाव को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
यह फैसला केंद्र सरकार ने तब लिया है जब गांबिया में कफ सिरप पीने से 60 बच्चों की मौत हो गई थी।
केंद्र कंपनी को दे चुकी क्लीन चिट
गांबिया में कथित रूप से भारतीय कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत के मामले में सरकार ने कंपनी को क्लीन चिट दे चुकी है। केंद्र सरकार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मेडेन फार्मा का सिरप स्टैंडर्ड क्वालिटी का है। इसमें किसी तरह की मिलावट नहीं मिली है। केंद्र सरकार ने राज्यसभा में उठाए गए एक सवाल पर इस जानकारी का खुलासा किया था। केंद्र ने यह क्लीन चिट हरियाणा की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर जारी की थी।
2022 में गांबिया में 70 बच्चों की मौत हुई थी। बाद में पता चला कि बच्चों की मौत किडनी में इन्फेक्शन की वजह से हुई है। इन मौतों को भारत में बने खांसी के सिरप से जोड़कर देखा गया। 5 अक्टूबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत के मेडेन फार्मास्युटिकल्स के खांसी के 4 सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया था।
शिकायत पर फिर खुली फाइल
गांबिया में 66 बच्चों की मौत का मामला एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। एक वकील की शिकायत पर कफ सिरप बनाने वाली मेडेन फार्मा कंपनी की फाइल हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने खोल दी है। इसके बाद सोनीपत स्थित मेडेन फार्मा कंपनी के बनाए जा रहे कफ सिरप के फिर से ACB ने सैंपल लिए। जो अब दोबारा जांच के लिए भेजे जाएंगे।हरियाणा के एक वकील यशपाल ने सोनीपत की कफ सिरप निर्माता कंपनी को बचाने के लिए ड्रग कंट्रोलर पर सैंपल बदलने का आरोप लगाया है।
जांच में चारों सैंपल सही मिले थे
गांबिया में 66 बच्चों की मौत के बाद मेडेन फार्मा के कफ सिरप के 4 सैंपल जांच के लिए सरकारी लैब में भेजे गए थे। जांच में चारों की गुणवत्ता मानकों पर खरी उतरी थी। वहीं, WHO का कहना था कि इन सिरप के पीने से ही बच्चों की मौत हुई थी।
TEAM VOICE OF PANIPAT