वायस आफॅ पानीपत (कुलवन्त सिंह)- स्कूल को घर के बाद ऐसी जगह माना जाता हैं, जहाँ पर बच्चे अपना सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं। स्कूल ही ऐसी जगह हैं जहाँ से वो अपने भविष्य का निर्माण करते हैं। लेकिन अगर स्कूलों मे शिक्षक ही न हो तो बच्चों के भविष्य का निर्माण कैसे होगा। ऐसे ही कुछ हाल हैं हरियाणा के प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों का, जहा के स्कूलों मे महिला शिक्षकों का अभाव हैं। हरियाणा के करीब 4078 स्कूल ऐसे हैं जहां पर महिला शिक्षकों की कमी है। स्कूलों मे महिला शिक्षकों के अभाव के कारण लड़कियों को पढ़ने मे खासी दिक्कत आ रही हैं, इसी को देखते हुए हरियाणा राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस पर कड़ा संज्ञान लिया है। आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने इन स्कूलों मे महिला शिक्षकों की नियुक्ति की मांग करते हुए पालिसी मे बदलाव करने का सुझाव दिया हैं। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के चार हजार से ज़्यादा स्कूलों में महिला शिक्षक नही होने पर चिंता जाहिर की है।
आयोग ने हरियाणा सरकार को पत्र लिख कर प्रदेश के 4078 प्राइमरी व अपर प्राइमरी विद्यालयों मे महिला टीचर की नियुक्ति नही होने की जानकारी देने के साथ ही उनकी नियुक्ति का अनुरोध किया हैं।सरकार को लिखे पत्र मे आयोग की चेयरपर्सन ज्योति बैंदा ने सरकार से स्थानांतरण नीति मे बदलाव करने की मांग की है। आयोग की चेयरपर्सन ने बताया हैं कि आयोग ने बीते दिनों शिक्षा निदेशालय से प्रदेश के 14 हजार स्कूलों का डाटा लेकर उसका अध्ययन किया। आयोग द्वारा किये गए अध्ययन मे पाया गया हैं कि इन 14 हजार स्कूलों मे से 4078 स्कूल ऐसे हैं, जिनमे एक भी महिला शिक्षक नही हैं। खास बात यह हैं कि इन 4078 स्कूलों मे से 3872 स्कूल प्राइमरी हैं। इतना ही नही इनमे से 746 स्कूल मेवात काडर के हैं, जिनमे से 487 स्कूलों मे कोई भी महिला शिक्षक नही हैं। और इन स्कूलों मे लड़कियों की संख्या भी अच्छी नही हैं। ऐसे मे ये एक गंभीर चिंता का विषय हैं। हरियाणा सरकार को स्थानांतरण नीति मे बदलाव कर इन स्कूलों मे महिला शिक्षकों की नियुक्ति करनी चाइये। ताकि स्कूलों के एकेडिमिक व एनरोलमेंट इगेंजमेंट को प्रभावित होने से रोका जा सके। इसके अलावा स्कूलों मे महिला टीचरो के होने से लड़कियों की संख्या भी बढ़ेगी, इसलिए सरकार इस दिशा मे कदम उठाना चाहिए।
TEAM VOICE OF PANIPAT