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June 8, 2025
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पानीपत नगर निगम में हुआ कचरा घोटाला, कठघरे में मेयर व निगम के अधिकारी

वायस आफॅ पानीपत (कुलवन्त सिंह)- पानीपत नगर निगम में ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रोजेक्ट में बड़ा घोटाला करने का आरोप लगा है। पानीपत नगर निगम ने ढाई वर्षों में 36.46 करोड़ रुपये और समालखा नपा ने 2.11 करोड़ रुपये का बिल जय भारत मारुति कंपनी को भुगतान किया है। सदन की बैठक में जेबीएम का ठेका प्रस्ताव रद करने की फाइल शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय से गायब कर इस घोटाले को अंजाम दिया गया। आरटीआइ में जानकारी हासिल करने के बाद शिकायतकर्ता पीपी कपूर ने वीरवार को बैठक में मेयर व आयुक्त को कठघरे में खड़े कर गंभीर सवाल उठाए हैं।

पीपी कपूर ने बताया कि फरवरी 2018 से जुलाई 2020 तक पानीपत शहर में 3 लाख 64 हजार 673 टन कूड़ा उठाने के एवज में 36 करोड़ 46 लाख 72 हजार 864 रुपये का भुगतान किया गया। नगरपालिका समालखा ने एक मार्च 2018 से 30 जून 2020 तक 2 लाख 06 हजार 90 टन कूड़ा उठाने के बदले 2 करोड़ 11 लाख 26 हजार 141 रुपये पेमेंट की। सबसे गंभीर बात यह है कि सफाई कार्य का निरीक्षण व बिलों का वैरीफिकेशन किए बिना कंपनी को भुगतान कर दिया गया। कंपनी को ठेका 22 वर्षों के लिए दिया गया है। नगर निगम के पार्षदों ने 4 जुलाई 2019 को सदन की बैठक में जेबीएम की सेवाएं रद करने का प्रस्ताव पारित किया था।

आयुक्त ने 29 जुलाई 2019 को यह प्रस्ताव महानिदेशक शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय को भेज कर कंपनी के विरुद्ध कारवाई की मांग की थी। पीपी कपूर ने 28 सितंबर 2019 को इस बारे में आरटीआइ लगाई। कार्यकारी अभियंता ने 19 अगस्त 2020 को पत्र के माध्यम से बताया कि जेबीएम कंपनी के विरुद्ध आयुक्त की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव व पत्र ढूंढऩे पर भी नहीं मिल रहे। पूर्व मेयर भूपेंद्र ङ्क्षसह ने कूड़े की बजाए मलबा ट्रालियों में भर कर घपला करते रंगे हाथों पकड़ा था। शिकायत के बाद कमिश्नर ने महानिदेशक को कारवाई के लिए पत्र भेजा, वो भी गायब कर दिया गया।26 सितंबर 2017 को हुए करार के मुताबिक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) की देखरेख में इस प्रोजेक्ट को चलाना था। इसका मुखिया कार्यकारी अभियंता स्तर का अधिकारी अथवा सिविल इंजीनियङ्क्षरग में डिग्रीधारक/पर्यावरण में मास्टर डिग्री धारक सहित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में 15 वर्ष का अनुभव वाला एक बाहरी विशेषज्ञ होगा।

सभी नगर निकायों से कार्यकारी अधिकारी बतौर प्रतिनिधि शामिल होंगे। पीएमयू की तरफ से जांच व मंजूरी मिलने के बाद ही बिलों का भुगतान होगा। गौरतलब है कि दैनिक जागरण 20 जनवरी के अंक में शहर पर सवार कूड़े का पहाड़ अभियान में पीएमयू का मुद्दा उठा चुका है। मेयर अवनीत कौर ने बताया कि मैंने इस बारे में पार्षदों के प्रस्ताव का उल्लेख कर सरकार को पत्र लिख दिया था। कुछ पार्षदों की तरफ से लेटर हेड पर लिख कर देने के बाद ही कंपनी की पेमेंट शुरू की गई। सदन की बैठक में 7 सितंबर को दोबारा प्रस्ताव आता तो फिर सरकार को भेज दूंगी।

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