वायस ऑफ पानीपत (सोनम गुप्ता):- पानीपत के गन्ना किसानों के लिए अच्छी खबर है। एक मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल उन्हें आधुनिक नई शुगर मिल की सौगात देने जा रहे हैं। यह सीजन में एक करोड़ क्विंटल गन्ने की पेराई क्षमता रखती है। हालांकि ये सौगात दो साल पहले मिलनी थी, लेकिन कोविड-19 व अन्य कारणों के चलते प्लांट को कंपनी समय पर चालू नहीं कर पाई। हाल में उक्त मिल में हर रोज करीब 42 हजार क्विंटल से ज्यादा गन्ने की पेराई की जा रही है।
पानीपत में नई शुगर मिल लगाने की सालों पुरानी मांग थी। सरकार ने डाहर में 75 एकड़ में करीब 356 करोड़ की लागत से आधुनिक नई मिल लगाने की घोषणा की। मार्च 2019 में टेंडर उत्तम सुक्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर जारी किया गया।
शुगर मिल के एमडी नवदीप सिंह ने बताया कि पानीपत की नई शुगर मिल प्रदेश के कोआपरेटिव मिलों में सबसे आधुनिक है। जो पुरी तरह से कम्प्यूटर संचालित है। एक सिस्टम से पूरा प्लांट आपरेट होता है। आटोमेटिक तरीके से उस पार्ट को अलग कर ठीक करने के बाद चालू किया जा सकता है। इसमें करीब 150 करोड़ की लागत से डिस्टलरी प्लांट भी लगना है, जो 90 केएलपीडी का होगा। इसकी बिजली टरबाइन व बायलर सबसे बड़ा है। खोई हैंडलिंग व एस हैंडलिंग सिस्टम सबसे बेहतर है। मिक्स कूलिंग सिस्टम करनाल के बाद इसी में लगा है।
नए शुगर मिल में ईटीपी प्लांट भी लगाया जा रहा है। जहां से आसपास के किसानों को खेत में सिंचाई करने को लेकर पानी दिया जा सकेगा। एमडी ने बताया कि पेराई के दौरान एक टन गन्ने से करीब 100 लीटर पानी निकलता है। उक्त पानी को इधर उधर बहाकर वेस्ट करने की बजाय ईटीपी प्लांट में ट्रीट कर इच्छुक आस-पास के किसानों को खेत में फसलों की सिंचाई को लेकर दिया जाएगा। नई शुगर मिल में 135 टीपीएच का बायलर लगा है। यह प्रदेशभर के शुगर मिलों में सबसे बड़ा है। बायलर से न केवल शुगर संबंधित काम हो रहा है, बल्कि उसमें बनने वाली भाप के जरिये बिजली भी बन रही है। 28 मेगावाट की टरबाइन लगाई गई है। सात मेगावाट प्लांट पर खर्च और सरप्लस 21 मेगावाट बिजली संबंधित विभाग को देंगे।
नई शुगर मिल में लगे बायलर में एनजीटी के नियमों का खास ख्याल रखा गया है। इसको लेकर करीब 2.75 करोड़ ज्यादा खर्च हुए हैं। राखी बायलर से होकर बाहर जाकर प्रदूषण न फैलाए, इसको लेकर बायलर में ईएसपी सिस्टम लगाया है। सिस्टम से राखी को बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। वहीं लगने वाले डिस्टलरी प्लांट में भी ऐसी ही व्यवस्था की जाएगी। गोहाना रोड स्थित पुरानी मिल की क्षमता 18 हजार क्विंटल गन्ना प्रतिदिन पेराई की थी। जबकि डाहर स्थित नई शुगर मिल की क्षमता 50 हजार क्विंटल प्रतिदिन पेराई की है। क्षमता के साथ चलने पर उक्त आधुनिक मिल न केवल अपने, बल्कि आस पास के सोनीपत, रोहतक, करनाल आदि जिलों के किसानों से भी गन्ना ले पेराई कर सकती है।
किसान संजय ने बताया कि वो करीब 30 एकड़ गन्ने की खेती करता है। पानीपत मिल की क्षमता कम होने पर उन्हें हर साल पंजाब या उत्तराखंड के मिल में गन्ना लेकर जाना पड़ता था। नईमिल के चालू होने से दूसरे प्रदेशों में गन्ना लेकर जाने से छुटकारा ही नहीं मिलेगा, बल्कि हादसों का शिकार होने से भी बचेंगे। ट्रांसपोर्ट का खर्च भी बहुत कम होगा।
TEAM VOICE OF PANIPAT