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November 22, 2024
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छोटी उम्र में आधार कार्ड से बना सात जन्मों का बंधन, स्कूल रिकॉर्ड ने तोडे सपने.

वायस ऑफ पानीपत (कुलवन्त सिंह)- मामला पानीपत का है जहां एक साल के अंदर 250 से अधिक बाल विवाहों के मामले सामने आ चुके हैं। बाल विवाह के 99 प्रतिशत मामलों में परिजन बच्चों की आधार कार्ड में उम्र बढ़वा कर शादियों के सपने देखने लगते हैं और शादी की प्रक्रिया शुरू करते हैं। उनके इन्हीं सपनों को स्कूल रिकॉर्ड का प्रमाणपत्र तोड़कर रख देता है।
सामान्य तौर पर बाल विवाह की सूचना मिलने पर अधिकारी पहुंचती हैं तो परिजन सबसे पहले आधार कार्ड ही दिखाते हैं, लेकिन यह आयु का पुख्ता प्रमाण नहीं माना जाता। इसलिए अधिकारी स्कूल प्रमाणपत्र मांगते हैं तो उसमें दूल्हा व दुल्हन की असल आयु का खुलासा होता है। महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता के अनुसार 99 प्रतिशत मामलों में आधार कार्ड को आयु का पुख्ता सबूत मानकर हो रहे बाल विवाह को रुकवाया गया है।


पानीपत औद्योगिक नगरी है, यहां दो लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं। जिनमें 30 से 40 प्रतिशत तक नाबालिग हैं। फैक्टरी मालिक चाइल्ड लेबर डिपार्टमेंट से बचने के लिए आधार कार्ड में उनकी आयु बढ़वा देते हैं और उनसे काम कराते हैं। उपरोक्त खुलासा तब हुआ, जब चाइल्ड लाइन और एंटी ह्यूमन सेल की संयुक्त टीम ने फैक्टरियों में बाल मजदूरी कर रहे बच्चों के आधार कार्ड की बजाय स्कूल रिकॉर्ड चेक किए। बाल विवाह के आधार कार्ड में आयु बढ़वाकर शादी करने के मामले ज्यादातर बढते जा रहे हैं जहां पहला मामला है जाटल रोड पर सौंधापुर के पास का जहां एक फैक्टरी में बने लेबर क्वार्टर में हो रहे बाल विवाह की सूचना पर अधिकारी रजनी गुप्ता पहुंची। उन्होंने दूल्हा और दुल्हन का आयु प्रमाणपत्र मांगा गया। दोनों पक्षों ने आधार कार्ड दिखाए, जिनमें उनकी आयु पूरी थी, लेकिन अधिकारी ने स्कूल प्रमाणपत्र मांगा। जब आयु प्रमाणपत्र नहीं मिला तो दोनों को नाबालिग मानकर शादी को रुकवाया गया। अंत में परिजनों ने भी मान लिया था कि उनकी बेटी नाबालिग है।

ऐसा ही दूसरा मामला सामने आया कि शहर की एक कॉलोनी के एक केस में कोर्ट ने 10वीं में पढ़ने वाले लड़के का बाल विवाह रुकवाया। हाल ही में उसकी शादी होनी थी। उम्र के प्रमाणपत्र में परिजनों ने आधार कार्ड का हवाला दिया, जिसमें उसकी जन्म की तारीख 1.1.1999 थी। कोर्ट ने इसे नकारते हुए कहा कि ये कोई आयु का पुख्ता दस्तावेज नहीं है, स्कूल रिकॉर्ड ही मान्य होगा। स्कूल रिकॉर्ड के अनुसार लड़के की उम्र 1.1.2001 थी, यानी 19 साल। परिजनों ने कोर्ट में माना कि वे सिर्फ आधार कार्ड के हिसाब में हुई 21 साल की उम्र के कारण ही शादी कर रहे थे।
तीसरा मामला है पानीपत के तहसील कैंप में एक लड़की की शादी उसकी मां करवा रही थी। सूचना पर बाल विवाह निषेध अधिकारी पुलिस के साथ मौके पर पहुंची और आयु प्रमाणपत्र मांगा। परिजनों ने उनके सामने आधार कार्ड लाकर रख दिया और दिखाया कि उनकी बेटी 19 साल की हो चुकी है। जब स्कूल रिकॉर्ड चेक किया तो वह 16 साल की मिली। जिसके आधार पर बाल विवाह रुकवाया और बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने दोनों के परिजनों को बच्चों के बालिग होने तक शादी करवाने के निर्देश दिए हैं।

प्रोटेक्शन अधिकारी रजनी गुप्ता ने बताया कि भारतीय दंड संहिता धारा 511 के अनुसार अगर बाल विवाह करने की कोशिश भी की जाती है, तब भी बराबर की सजा देने का प्रावधान है। आजकल आधार कार्ड में आयु बढ़वाकर बाल विवाह के मामले ज्यादा आ रहे हैं। ऐसे में परिजनों से अपील है कि बच्चों की बालिग होने पर ही शादी करें।
बाल मजदूरी के मामलों में फैक्टरी मालिक खुद पर कार्रवाई होने से बचने के लिए सबसे पहले आधार कार्ड उनके सामने पेश करते हैं, लेकिन आधार कार्ड आयु का पुख्ता प्रमाण नहीं है। इसलिए वह स्कूल प्रमाणपत्र मांगते हैं, जिससे असल आयु का खुलासा होता है।
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