वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा):- केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड CBSE ने 12वीं कक्षा के छात्रों के अंक निर्धारित करने के लिए स्कूलों के बीते तीन वर्ष के औसत परिणाम को आधार बनाया है। CBSE ने इसको लेकर सभी स्कूलों को मूल्यांकन नीति जारी की है। बोर्ड के अधिकारियों के बताया कि मूल्यांकन नीति के मुताबिक बोर्ड की तरफ से सभी स्कूलों को बीते तीन वर्ष के 12वीं बोर्ड परीक्षा के परिणाम के औसत भेजे गए हैं। स्कूल इन तीन वर्षो में अपने अधिकतम औसत वाले वर्ष को मूल्यांकन के लिए संदर्भ वर्ष बना सकते हैं, जिसके आधार पर अंक दिए जाने हैं। मसलन किसी स्कूल का 12वीं बोर्ड का परिणाम का कुल औसत परिणाम 2017-18 में 72 फीसद, 2018-19 में 74 फीसद और 2019-20 में 71 फीसद है, तो स्कूल 2018-19 को संदर्भ वर्ष मानकर इस वर्ष के कुल औसत को आधार बनाकर मूल्यांकन कर सकता है। जिस वर्ष के औसत को मूल्यांकन का संदर्भ बनाया जाएगा, उसी वर्ष को माडरेशन (अंक कम ज्यादा करने) का भी संदर्भ वर्ष बनाना होगा।
वहीं, CBSE के मुताबिक सभी स्कूलों को अधिकतम केवल दो अंक से माडरेशन (ज्यादा या कम) कर परिणाम जारी करने की छूट मिलेगी। ऐसे में संदर्भ वर्ष को आधार बनाने से स्कूल विद्यार्थियों को दिए जा रहे अंकों में मनमानी नहीं कर सकेंगे। वहीं, स्कूलों को यह भी ध्यान रखना होगा कि सभी विद्यार्थियों को मिले अंकों का औसत संदर्भ वर्ष से दो अंक से अधिक नहीं होना चाहिए। CBSE के मुताबिक स्कूलों को प्रत्येक विषय में पांच अंक के विषयवार माडरेशन की अनुमति होगी, हालांकि इसके लिए संदर्भ वर्ष के विषयवार अंकों को आधार मानना होगा। नए स्कूलों के परिणाम में राष्ट्रीय, राज्य, व जिले का औसत होगा आधार : कई स्कूल ऐसे हैं जो पहली बार बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे। ऐसे स्कूलों के छात्रों के नतीजे राष्ट्रीय, राज्य और जिले स्तर के औसत में जो सबसे ज्यादा होगा उसको आधार बनाकर परिणाम जारी किया जाएगा।
परिणाम तैयार करने के लिए अगले सप्ताह शुरू होगी हेल्प डेस्क
10वीं-12वीं के परीक्षा परिणाम तैयार करने में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए सीबीएसई की तरफ से अगले सप्ताह से हेल्प डेस्क शुरू की जाएगी। इसके अलावा स्कूलों को छात्रों के 10वीं के अंक व परीक्षा पास करने के वर्ष, रोल नंबर आदि की जानकारी 21 जून से पोर्टल पर अपलोड करने को कहा है।
TEAM VOICE OF PANIPAT