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September 8, 2024
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Haryana News

किसानों से प्रीमियम ले लिया, बीमा कराया ही नहीं, फसलें बर्बाद हुईं तो कंपनियों ने क्लेम देने से कर दिया इनकार

वॉइस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा ) : प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। विभिन्न बैंकों की 100 से अधिक ब्रांच में करीब 7600 किसानों के खातों से बीमा की प्रीमियम राशि ले ली गई, लेकिन बीमा किया ही नहीं गया। किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं और मुआवजे के लिए दावा किया गया तो बीमा कंपनियों ने क्लेम देने से इनकार कर दिया। बीमा कंपनियों ने कहा कि फसलों का बीमा ही नहीं कराया गया है।

सरकार ने जब जांच कराई तो पता चला कि किसानों ने प्रीमियम दिया था, लेकिन बैंकों व उनके एजेंटों ने यह पैसा जमा ही नहीं कराया। कई बैंकों ने किसानों के नाम व पते तक गलत लिखे हैं। इससे किसानों को फसलों का बीमा नहीं मिल पाया। चौंकाने वाली बात यह है कि जब बैंकों को पता चला कि किसानों से प्रीमियम लिया गया है और फसलों का बीमा नहीं हुआ तो कई बैंकों की ओर से किसानों के खातों में प्रीमियम की राशि जमा करा दी गई।

ऐसे में सरकार अब बैंकों और एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारी है। किसानों को करीब 15 करोड़ रुपए की राशि फसल बीमा के मुआवजे के रूप में मिलनी है। कृषि मंत्री जेपी दलाल का कहना है कि किसानों को मुआवजे का एक-एक पैसा दिलाया जाएगा। अब सरकार ने फसल बीमा ऐच्छिक कर दिया है।

केंद्र को पत्र लिखा, बैंकों पर कार्रवाई करने की मांग
कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने केंद्र को पत्र लिखकर बैंकों पर कार्रवाई की मांग की है। वहीं, बैंकों को खरीफ फसलों के बीमा का रिकॉर्ड 15 अगस्त तक जमा करना है।

बैंकों और कृषि विभाग के अफसरों की बैठक 14 को
कृषि विभाग के अफसरों व बैंकों के प्रतिनिधि की बैठक 14 अगस्त को होगी। इसमें फसल बीमा योजना की समीक्षा होगी। इस धोखाधड़ी पर भी बैंकों से जवाब मांगा जा सकता है।

इधर, 3 कंपनियों पर 34.92 करोड़ जुर्माना
कृषि विभाग ने किसानों को फसल बीमा राशि देने में लापरवाही करने पर एक कंपनी पर 14.04 करोड़, दूसरी पर 11.09 करोड़ व तीसरी कंपनी पर 9.79 करोड़ रु. जुर्माना लगाया है।

सरकार तक शिकायत पहुंची, जांच कराई तब हुआ खुलासा
फसलें बर्बाद होने पर किसानों ने मुआवजे के लिए क्लेम किया। कुछ किसानों को मुआवजा राशि मिल गई। जब पड़ोसी किसानों को मुआवजा मिल गया तो बाकी किसानों ने क्लेम किया। बीमा कंपनियों ने फसल बीमा न होने की बात कही। किसानों ने बैंकों व कृषि विभाग में शिकायतें कीं। सरकार ने जांच कराई तो फर्जीवाड़ा मिला।

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