पिछले तीन सालों से किसानों की फसल का भुगतान सीधे उनके खातों में डालने का प्रयास कर रही हरियाणा सरकार इस बार आढ़तियों के दबाव में नहीं आएगी। गेहूं के भुगतान में देरी को आधार बनाते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि इस बार धान की फसल का पूरा भुगतान सीधे किसानों के खाते में डाला जाएगा। यानी इस बार फसल की भुगतान प्रक्रिया से आढ़ती पूरी तरह बाहर होंगे।
हरियाणा सरकार इसी बार से गेहूं का भुगतान सीधे किसानों के खाते में डालना चाहती थी, लेकिन आढ़ती ऐसा नहीं करने पर अड़ गए। उन्होंने दलील दी कि निजी जरूरतों को पूरा करने के लिए आढ़तियों ने किसानों को काफी कर्ज दे रखा है। यदि किसानों को सीधे पेमेंट चली गई तो वह आढ़तियों का पैसा लौटाने में आनाकानी कर सकते हैं। चूंकि कोरोना महामारी का दौर था और सरकार आढ़तियों के साथ किसी तरह का विवाद नहीं चाहती थी, लिहाजा आढ़तियों की बात मान ली गई। गेहूं के भुगतान के लिए इस बार थ्री-टायर सिस्टम अपनाया। फिर आढ़ती ने किसान से अपने कर्ज की कटौती के लिए सहमति ली। इस सहमति के बाद पैसा काटकर बाकी भुगतान आढ़ती ने वापस सरकार के पूल में भेजा।
हरियाणा सराकर ने पिछली बार हुए धान घोटाले से सबक लेते हुए इस बार पारदर्शीता बनाए रखने की भी रणनीति तैयार की है। पिछली बार आढ़तियों ने धान की फसल आने से पहले ही उसे खरीदी हुई दिखा दिया और बाद में उसकी पूर्ति करने की कोशिश की, लेकिन फिजिकल वैरीफिकेशन में यह घोटाला पकड़ा गया।
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