वायस ऑफ पानीपत (शालू मौर्या):- भाद्रपद शुल्क पूर्णिमा 18 सितंबर बुधवार को अगसत्य मुनि को तर्पण करने करने के साथ पितृपक्ष का आरभ हो जाएंगा.. यात्री 19 सितंबर से पितरों का आशीष प्राप्त को लेकर तिल व जौ से तर्पण करेंगे ज्योतिष आचार्य राकेश ने कहा कि कुडंली से पितृ दोष से शांति पुरखों के आशीर्वाद, पितरों को तृप्ति के लिए पितृपक्ष में तर्पण व पिंडदान कर ब्राह्मण कराया जाएगा.. इस बार पितृपक्ष में द्वितीया तिथि के क्षय होने से पितरों की कृपा पाने के लिए पूरे 14 दिन मिलेंगे.. धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितरों को जल और तिल से पितृपक्ष में तर्पण करने से आत्मा तृप्त होती है.. उनका आशीष कुटुंब को कल्याण के पथ पर ले जाता है..

*2 अक्टूबर को होगा पितृ विसर्जन*
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा 19 सितंबर गुरुवार से 2 अक्टूबर आश्विन कृष्ण अमावस्या बुधवार तक पितृपक्ष रहेगा। एक अक्टूबर मंगलवार को पितृपक्ष का चतुर्दशी तिथि है। इस दिन शस्त्रादि से मृत्यु को प्राप्त हुए पितरों का श्राद्ध किया जाएगा। इसके बाद दो अक्टूबर गुरुवार को अमावस्या तिथि में स्नान-दान सहित सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध एवं पितृ विसर्जन महालया पर्व के रूप में संपन्न होगा। इस तिथि को अमावस्या सूर्योदय से लेकर देर रात 11:14 बजे तक है। ऐसे में सर्वपितृ का तर्पण दो अक्टूबर को करते हुए ब्राह्मण भोजन कराकर पितरों की विदाई किया जाएगा।
*पितृ पक्ष एक नजर में*
- अगस्त ऋषि तर्पण- बुधवार 18 सितंबर
- पितृपक्ष आरंभ (प्रतिपदा) – गुरुवार 19 सितंबर
- चतुर्थी श्राद्ध – शनिवार 21 सितंबर
- मातृ नवमी – गुरुवार 26 सितंबर
- इंदिरा एकादशी- शनिवार 28 सितंबर
- चतुर्दशी श्राद्ध- मंगलवार एक अक्टूबर
- अमावस्या, महालया व सर्वपितृ विसर्जन – बुधवार दो अक्टूबर
TEAM VOICE OF PANIPAT