वायस ऑफ पानीपत (शालू मौर्य):- हरियाणा में पानी पीने के लायक नहीं है.. पेयजल को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है। विधानसभा के मानसून सत्र में पेश की गई CAG की रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में पीने के पानी में मेंढक, शैवाल, कौलीफॉर्म बैक्टीरिया मिले हैं..
CAG की रिपोर्ट में कहा गया है कि हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2016-21 के दौरान जलजनित बीमारियों के 2,901 मामले राज्य में आए हैं.. इसके साथ ही दूषित जल पीने से सूबे में 14 मौत हो चुकी हैं.. 8 चयनित जिलों में से 4 (फतेहाबाद, करनाल, कुरूक्षेत्र और पंचकूला) में 2016-21 के दौरान जल-जनित बीमारियों के 1382 मामले मिले, जिनमें से 12 लोगों की मौत हुई। कालका, असंध, इंद्री और हांसी उपमंडल जल परीक्षण प्रयोगशालाओं में भौतिक और रासायनिक परीक्षण की सुविधा नहीं है..
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि 25 में से 12 स्थानों पर पानी के नमूनों में क्लोरीन नहीं मिला..11 स्थानों पर क्लोरीन निर्धारित सीमा से अधिक पाया गया (0.2 PPM की आवश्यकता के मुकाबले प्रति मिलियन PPM तीन भागों का अधिकतम रेट) और 2 स्थानों पर, क्लोरीन अनुमेय सीमा के भीतर पाया गया.. हालांकि SRI प्रयोगशाला में 2 नमूनों में क्लोरीन अनुमेय सीमा से थोड़ा ऊपर पाया गया और बाकी 23 नमूनों में क्लोरीन बिल्कुल भी नहीं पाया गया..
जिन 25 स्थानों से सैंपल लिए गए, उनमें से 7 स्थानों पर क्लियर वॉटर टैंक (CWT) ओवर हेड सर्विस रिजर्वायर (OHSR) का उपयोग किया जा रहा था और 3 स्थानों पर सफाई की स्थिति संतोषजनक नहीं थी.. कटेसरा में CWT के अंदर शैवाल मिला है, साहू में CWT में मेंढक और काब्रेल में एक CWT बिना ढक्कन के था..
इस बात को साबित करने के लिए CAG ने अपनी रिपोर्ट में तस्वीरें भी प्रकाशित की हैं। सभी 25 स्थानों पर यह देखा गया कि क्लोरीन की खुराक से संबंधित कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया था.. इसकी अनुपस्थिति में यह आंकलन किया गया है कि जल पंप संचालक, जेई क्लोरीनाइजेशन के लिए उचित खुराक के प्रति लापरवाह थे..
TEAM VOICE OF PANIPAT