वायस ऑफ पानीपत :- सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के फरीदाबाद जिले के खोरी गांव में जंगल की जमीन पर अतिक्रमण करके बनाए गए 10 हजार से अधिक घरों को गिराए जाने के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि यह कोई दूसरी जमीन नहीं जंगल की भूमि है और हम इस जमीन पर से अतिक्रमण को हटाना चाहते हैं।
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने गांव वालों की ओर से पेश हुए वकील से कहा कि यह जमीन जंगल की है। अदालत चाहती है कि हमारी वन भूमि साफ हो जाए। हमने इसके लिए पर्याप्त वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि फिर भी आप इसे जारी रखना चाहते हैं तो यह आपके रिस्क पर है। एक याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहीं अधिवक्ता अपर्णा भट ने कहा कि सुनवाई जारी रहने के बावजूद जबरन बेदखली की जा रही थी।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हां उन्हें ऐसा करने दिजिए। अधिवक्ता अपर्णा भट ने आगे कहा कि कोरोना महामारी के दौरान घर से बेदखल किए जाने वाले बच्चों के लिए कम से कम एक अस्थायी आवास तो मुहैया कराया ही जाना चाहिए। इसका समाधान हरियाणा सरकार पर निर्भर है। अदालत ने यह भी कहा कि लोगों के पास फरवरी 2020 के बाद से वन भूमि खाली करने का पर्याप्त मौका था।
वहीं हरियाणा सरकार का कहना था कि अतिक्रमणकारी अधिकारियों पर पत्थर फेंक रहे हैं। इस पर अदालत ने कहा कि किसी आदेश की जरूरत नहीं है। अधिकारियों को बखूबी मालूम है कि उन्हें क्या करना है। अदालत में लंबित कार्यवाही अतिक्रमण को हटाने में आड़े नहीं आएगी। इससे पहले शीर्ष अदालत ने कहा था कि निगम को जंगल की जमीन पर सभी अतिक्रमणों को कम से कम छह हफ्ते में हटा देना चाहिए।
TEAM VOICE OF PANIPAT