वायस ऑफ पानीपत (सोनम गुप्ता):- जल ही जीवन है. ये तो आपने कई बार पढ़ा-सुना होगा. इंसान के जीवित रहने के पीछे जल यानी पानी का सबसे अहम किरदार रहता है. दुनिया में आधा इलाका पानी से ढंका होता है. इसके बावजूद दुनिया में पानी की किल्लत रहती है. इसकी वजह है पीने के पानी की कमी. आधा पानी तो ग्लेशियर्स में जमा है. लेकिन नदी या झीलों का पाने पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, भारत में अधिकांश नदियों का पानी गंदगी की वजह से अब पीने योग्य नहीं रह गया है.
भारत में कई नदियां बहती है. इसमें से गंगा नदी का महत्व काफी ज्यादा है. हिंदू धर्म में तो गंगा नदी के पानी का इस्तेमाल पूजा-पाठ में किया जाता है. कहते हैं कि कसी भी अशुद्ध चीज पर गंगाजल छिड़क दो तो वो शुद्ध हो जाता है. इस वजह से इसे हर हिंदू घर में स्टोर का रखा जाता है. गंगा जल के बारे में एक और चीज प्रचलित है. वो ये कि इसका पानी कभी खराब नहीं होता. अगर नॉर्मल पानी को बोतल में बंद कर दो से तीन दिन यूं ही रख दिया जाए, तो वो सड़ जाता है और उससे बदबू आने लगती है. लेकिन गंगाजल के साथ ऐसा नहीं होता.
गंगाजल कभी खराब नहीं होता. इसके पवित्र रहने की ख़ास वजह है. ये किसी जादू-टोने का नतीजा नहीं है. असल में इसकी वजह है गंगा का उद्गम स्थल. जी हां, जिस जगह से गंगा की उत्पत्ति होती है, वो हिमालय पर्वत पर है. इस जगह पर कई तरह की जड़ी-बूटियां और खनिज लवण पाए जाते हैं. ये सभी गंगा के पानी के संपर्क में आकर इससे घुल जाते हैं. यही वजह है कि गंगा के पानी में चमत्कारिक गुण पाए जाते हैं.
आम पानी को अगर बोतल में भर दिया जाए, तो एक समय के बाद इसका पानी खराब हो जाता है. पानी से बदबू आने लगती है. या फिर इसमें कीड़े पड़ जाते हैं. लेकिन गंगा जल के साथ ये समस्या देखने को नहीं मिलती. जी हां, गंगा नदी में पानी में एक ऐसा वायरस पाया जाता है जो पानी की सारी अशुद्धियों को खत्म कर इसमें खराब होने वाले बैक्टेरिया पनपने नहीं देते. इस कारण पानी से कभी बदबू नहीं आती. हालांकि, अब इंसानों ने इसका पानी इतना मैला कर दिया है कि कुछ जगहों पर इसका पानी इस्तेमाल लायक नहीं रह गया है.
TEAM VOICE OF PANIPAT