वायस ऑफ पानीपत (कुलवन्त सिंह):- पानीपत शहरी विधानसभा के मतगणना केंद्र पर ईवीएम की क्षमता 99 प्रतिशत रहने पाने पर काग्रेस पार्टी के एंजैटों के विरोध जताया था, उनके विरोध पर डीसी वीरेंद्र कुमार दहिया ने तुंरत सज्ञान लिया और कहा कि उनके द्वारा किया जा रहा विरोध बेबुनयादी और सत्य से परे है! उन्होंने बताया कि ईवीएम निर्माता कंपनी ने इस मशीन की फिटिंग ही ऐसे कि है,इस मशीन मे कई तकनीकी पहलु है, ईवीएम के कंट्रोल यूनिट में अल्कालाइन बैटरी का उपयोग होता है। कंट्रोल यूनिट में नई बैटरी कमिशनिंग के दिन उम्मीदवारों की उपस्थिति में डालकर सील की जाती है और पानीपत शहरी विधानसभा क्षेत्र में भी सभी की उपस्थिति में कमीशनिग की गई थी,उस समय सभी ने संतुष्ठी जाहिर की थी, अब एंजेटों या उम्मीदवार द्वारा बेबुनियादी विरोध सरासर गलत है, उन्होंने बताया कि प्रशासन द्वारा जिले मे चुनाव को निष्पक्ष व पारदर्शिता से सम्पन्न करवाया गया है! वह काग्रेस एजेंट की शिकायत को सिरे से खंडन करते है! डीसी ने जानकारी के अनुसार ईवीएम की तकनीकी बारिकियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विधानसभा में लगी ईवीएम प्रारंभ में बैटरी 7.5 से 8 के बीच वोल्टेज उपलब्ध करवाती है, इसीलिए वोल्टेज के 7.4 के ऊपर रहने पर बैटरी की क्षमता 99% प्रदर्शित की जाती है। उपयोग के साथ बैटरी की क्षमता और परिणाम स्वरूप वोल्टेज कम होती है। जैसे ही वोल्टेज 7.4 से कम होती जाती है, बैटरी की क्षमता 98% से 10% के बीच प्रदर्शित की जाती है। बैटरी में 5..8 से अधिक वॉल्ट (10% क्षमता के अधिक) रहने पर कंट्रोल यूनिट कार्यरत रहती है। वोल्टेज 5.8 (10% के बराबर) होने पर बैटरी बदलने का संकेत कंट्रोल यूनिट के डिस्प्ले पर आता है। ये बिलकुल वैसा ही है, जैसे रिज़र्व फ्यूल में आने पर वाहन में संकेत आता है।
काउंटिंग के दिन बैटरी की शेष क्षमता कंट्रोल यूनिट के ऊपर किए गए मॉक पोल, वास्तविक पोल एवं बैटरी की प्रारंभिक वोल्टेज (8 से 7.5) पर निर्भर करती है। ये बिलकुल वैसा ही है जैसे दिल्ली से जयपुर अलग-अलग लंबाई के रास्तो से जा सकते है। इसीलिए दिल्ली से फुल टैंक लेकर चलने पर भी जयपुर पहुँचने पर टैंक का लेवल अलग अलग हो सकता है।
सामान्यतः अल्कालाइन बैटरी का ये गुण होता है की इसे स्विच ऑफ रखने ईवीएम के कंट्रोल यूनिट में अल्कालाइन बैटरी का उपयोग होता है। कंट्रोल यूनिट में नई बैटरी कमिशनिंग के दिन उम्मीदवारों की उपस्थिति में डालकर सील की जाती है। प्रारंभ में बैटरी 7.5 से 8 के बीच वोल्टेज उपलब्ध कराती है, इसीलिए वोल्टेज के 7.4 के ऊपर रहने पर बैटरी की क्षमता 99% प्रदर्शित की जाती है। उपयोग के साथ बैटरी की क्षमता और परिणाम स्वरूप वोल्टेज कम होती है। जैसे ही वोल्टेज 7.4 से कम होती जाती है, बैटरी की क्षमता 98% से 10% के बीच प्रदर्शित की जाती है। बैटरी में 5..8 से अधिक वॉल्ट (10% क्षमता के अधिक) रहने पर कंट्रोल यूनिट कार्यरत रहती है। वोल्टेज 5.8 (10% के बराबर) होने पर बैटरी बदलने का संकेत कंट्रोल यूनिट के डिस्प्ले पर आता है। ये बिलकुल वैसा ही है, जैसे रिज़र्व फ्यूल में आने पर वाहन में संकेत आता है।
काउंटिंग के दिन बैटरी की शेष क्षमता कंट्रोल यूनिट के ऊपर किए गए मॉक पोल, वास्तविक पोल एवं बैटरी की प्रारंभिक वोल्टेज (8 से 7.5) पर निर्भर करती है। ये बिलकुल वैसा ही है जैसे दिल्ली से जयपुर अलग-अलग लंबाई के रास्तो से जा सकते है। इसीलिए दिल्ली से फुल टैंक लेकर चलने पर भी जयपुर पहुँचने पर टैंक का लेवल अलग अलग हो सकता है।
सामान्यतः अल्कालाइन बैटरी का ये गुण होता है की इसे स्विच ऑफ रखने पर इसकी वोल्टेज को स्वयं कुछ हद तक पुनः बढ़ाने (regain voltage) की क्षमता होती है।पर इसकी वोल्टेज को स्वयं कुछ हद तक पुनः बढ़ाने (regain voltage) की क्षमता होती है। डीसी ने विरोध कर्ताओ को सभी तथ्यों से अवगत करवाने बाद उसकी शिकायत को सिरे से नकार दिया और कहा कि समाज की बेहतरी के लिए सभी को नाकारात्मक नही साकारात्मक सोच बनानी चाहिए!
TEAM VOICE OF PANIPAT