वायस ऑफ पानीपत (सोनम गुप्ता):- अपनी हाजिरजवाबी और चुटकुले सुनाने में मशहूर हरियाणवीं फिल्मों के हास्य अभिनेता दरियाव सिंह मलिक का निधन हो गया है। 82 साल की उम्र में उन्होंने पानीपत के पैतृक गांव उग्राखेड़ी में अंतिम सांस ली। हरियाणवीं भाषा में बनी प्रदेश की पहली सुपरहिट फिल्म चंद्रावल से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत करने वाले रंगमंच के इस ऑलराउंडर ने 19 हरियाणवीं फिल्मों में दमदार अभिनय किया। इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका था।उन्होंने यश चोपड़ा प्रोडक्शन हाउस के बैनर तले बनी फिल्म ‘मेरे डैडी की मारुति’ में भी बड़े साहब का दमदार अभिनय किया था।
बात उन दिनों की है, जब गांव उग्राखेड़ी में ग्रामोफोन मशीन आई थी। यह मशीन सबसे पहले दरियाव मलिक के घर ही आई। उस समय वे तीसरी कक्षा में पढ़ते थे। उनके गुरू सरदार गुरदयाल सिंह बेदी ने उनसे एक गाना सुनाने को कहा। उन्होंने भजन सुनाया। भजन सुनते ही गुरू ने पीठ थपथपाकर कहा, शाबाश, एक दिन तू जरूर बड़ा कलाकार बनकर देश मेें नाम रोशन करेगा। उसी थपथपी ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया था।
दरियाव मलिक ने 1957 में जैन स्कूल से मैट्रिक की थी। 1962 में वह जिला सूचना एवं संपर्क विभाग में बतौर ड्रामा इंस्पेक्टर के पद पर भर्ती हुए थे। 1982 में जिला सूचना एवं संपर्क अधिकारी देवी शंकर प्रभाकर ने चंद्रावल फिल्म के लिए उन्हें हास्य कलाकार रुंडा के रूप में ब्रेक दिया। वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम आजाद ने सम्मानित किया। दिल्ली में संगीत अकादमी की ओर से भी उन्हें सम्मान से नवाजा गया था।
दरियाव सिंह मलिक ने चंद्रावल, लाडो बसंती, फूलबदन, बैरी, के सुपने का जिकर, छोरी सपेले की, जर जोरू और जमीन, जाट, कड़वा सच समेत 19 फिल्मों में हास्य अभिनेता का किरदार निभाया। उन पर बालीवुड की प्रसिद्ध फिल्म निर्माता कंपनी यश प्रोडक्शन की नजर पड़ी। उन्होंने फिल्म मेरे डैडी की मारुति शुरू की थी। दरियाव सिंह मलिक और रोहतक के कलाकार रघुविंद्र का रोहतक में ही ऑडिशन हुआ। दोनों को मुंबई बुलाया और फिल्म में मलिक को ‘बड़ा साहब’ और रघुविंद्र को ‘छोटा साहब’ के अभिनय के लिए चुना गया था।
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