40 C
Panipat
June 8, 2025
Voice Of Panipat
Big Breaking NewsHaryanaIndia NewsLatest NewsPanipatPANIPAT NEWS

किस दिन है जन्माष्टमी ? ऐसे मनाएं जन्माष्टमी, पढ़िए पूरी खबर

वायस ऑफ पानीपत (शालू मौर्य):-स्वामी पूर्णानंद पुरी महाराज ने बताया की भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव देश भर में उल्लास के साथ मनाया जाता है.. श्रीमद्भागवत एवं भविष्यपुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं चंद्रमा के वृष राशि गोचर के समय पर अर्धरात्रि में हुआ था.. इसीलिए भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष अष्टमी के दिन इस पर्व को मनाया जाता है.. श्री कृष्ण के जन्म समय की स्थितियां हर समय प्राप्त हों यह संभव नहीं है अत: ऎसे में जितने योग भी प्राप्त होते हैं उस अनुसार पर्व को मनाया जाता है..

यही कारण है कि इस बार जन्माष्टमी पर्व की तिथियों में अंतर देखने को मिल रहा है. परंतु वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख एवं ज्योतिर्विद स्वामी पूर्णानंदपुरी  महाराज ने वैदिक शास्त्र एवं पुराणों के प्रमाण देते हुए स्पष्ट किया कि इस बार जन्माष्टमी पर अर्द्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी तिथि का संयोग बन रहा है, इसके साथ ही रोहिणी नक्षत्र एवं चंद्रमा का वृषभ राशि गोचर होने का संयोग बन रहा है.. इस योग को भी अत्यंत ही शुभ स्थिति दायक माना गया है..

यह शुभ योग बुधवार 6 सितंबर को लगने के कारण गृहस्थ जीवन वालों के लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी बुधवार को मनाना अत्यंत शुभ रहेगा.. निर्णय सिंधु के अनुसार अर्ध रात्रि को अष्टमी तिथि में यदि रोहिणी नक्षत्र का योग मिल जाए तो उसमें भगवान श्रीकृष्ण का पूजन अर्चन करने से तीन जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं.. जन्माष्टमी के दिन 30 वर्ष के बाद इस तरह का शुभ योग देखने को इस बार मिल रहा है..

जिन लोगों के घर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के समापन के बाद जन्माष्टमी व्रत का पारण होता है.. वे देर रात 12:42 बजे  के बाद पारण कर लेंगे..वहीं जो लोग अगले दिन सुबह पारण करते हैं.. वे 7 सितंबर को  सुबह 06:02 के बाद पारण करेंगे..जिनके यहां अष्टमी तिथि के समापन पर पारण होता है, वे 7 सितंबर को शाम 04:14  के बाद पारण करेंगे..

जन्माष्टमी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.. इसके बाद साफ कपड़े पहन कर घर के मंदिर में दीप जलाएं और सभी देवी-देवताओं की पूजा करें.. लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें और भोग लगाएं और धूप-दीप जलाएं. रात्रि में पूजन के लिए तैयारी करें.. जन्माष्टमी पर रात्रि पूजन का विशेष महत्व होता है क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म अर्धरात्रि में हुआ था.. रात्रि पूजन के लिए श्री कृष्ण के लिए झूला सजाएं.. इसके बाद श्रीकृष्ण को पंचामृत या गंगाजल से अभिषेक  करें और फिर उनका श्रृंगार करें.. इस दिन श्रीकृष्ण का बांसुरी, मोर मुकुट, वैजयंती माला कुंडल, पाजेब, तुलसी दल आदि से श्रृंगार किया जाता है.. इसके साथ ही पूजा में उन्हें मक्खन, मिठाई, मेवे,मिश्री और धनिया की पंजीरी का भोग लगाया जाता है. पूजा में श्रीकृष्ण की आरती जरूर करें..

TEAM VOICE OF PANIPAT

Related posts

क्या झाइयों ने छीन ली है आपके चेहरे की खूबसूरती, तो अपनांए ये घरेलू नुस्खे

Voice of Panipat

हडिडयो को बनाना चाहते है मजबूत, तो शुरू करे खाना ये 5 चीजें

Voice of Panipat

हरियाणा में अब नहीं चलेगी निजी स्कूलों की मनमानी, सरकार ने दिये ये आदेश

Voice of Panipat