वायस ऑफ पानीपत (कुलवन्त सिंह):- हरियाणा के सीनियर IAS विजय दहिया के खिलाफ आरोपी दिपक शर्मा शर्मा (Deepak Sharma Sharma) की अप्रूवर बनाने की अर्जी पंचकूला अदालत ने खारिज कर दी है.. दीपक शर्मा (Deepak Sharma ) ने यह अर्जी लगाई थी, इसके लिए हरियाणा एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) ने भी अपनी सहमति दी थी.. एडिशनल सेशन जज (Additional Session Judge) प्रवीन कुमार लाल की कोर्ट ने इस केस में दूसरे आरोपी विजय दहिया(Vijay Dahiya) और पूनम चोपड़ा को भी जवाब दायर करने के लिए मौका दिया है.. दोनों ने अलग-अलग जवाब दावे में कहा कि दीपक शर्मा बार-बार बयान बदलता रहा है.. इस मामले में कोर्ट का डिलेड ऑर्डर (delayed order)आज को जारी किया गया है.. कोर्ट ने यह फैसला गत 12 अप्रैल को सुनाया था..
दहिया के दाखिल जवाब में लिखा है कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत कुछ और बयान दिया जबकि अदालत में अग्रिम जमानत के वक्त कुछ और बयान दिया.. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में बयान दिया कि उससे एसीबी (ACB) ने दबाव बनाकर बयान लिया था कि उसे अप्रूवर बनाया जाएगा.. दोनों ने जवाब दावे में कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) और दीपक शर्मा की मिलीभगत है.. विजय दहिया ने कहा कि एसीबी (ACB) की जांच में साफ हो गया है कि न तो उन्होंने रिश्वत की मांग की, न ली और न ही उनके पास से रिकवरी हुई है..
इस पर जज ने कहा कि यह ठीक है कि इसकी जरूरत नहीं है.. अदालत ने फैसले में लिखा, ‘ इसके अलावा अब कानून यह भी तय कर चुका है अभियोजन पक्ष की ओर से क्षमादान का प्रस्ताव आया है या अभियोजन पक्ष द्वारा समर्पित किसी अभियुक्त द्वारा क्षमा मांगने का प्रस्ताव ही अदालत के लिए क्षमादान देने के लिए इस तर्क से सहमत होने का अच्छा केवल वही कारण नहीं हो सकता है…बल्कि निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने और आपराधिक मामले में न्याय करने के लिए विवेकपूर्ण तरीके से अपने विवेक का प्रयोग करने का विवेक विशेष रूप से संबंधित न्यायालय के पास है..
TEAM VOICE OF PANIPAT