वायस ऑफ पानीपत (सोनम गुप्ता):- हरियाणा में BJP के शासनकाल में किसानो को फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (Farmer Producer Organization) की ग्रांट बांटने में करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया है.. हालांकि इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट (Horticulture Department) के 10 अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार इससे संतुष्ट नहीं है.. केंद्र ने इस पूरे मामले की जांच अब सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (Central Bureau of Investigation) को सौंप दी है.. केद्र सरकार ने इसके बारे में मनोहर लाल को लोटर लीखकर इसकी सहमति मांगी है.. केद्र का लेटर मिलने के बाद मनोहर लाल ने इस पुरे घोटाले कि CBI जांच के लिए अपनी सहमति देने की तैयारी कर ली है.. इक्विटी ग्रांट के तहत पहले 10 लाख रुपए हर FPO को मिलते थे, जिसे 2022 में केंद्र सरकार ने बढ़ाकर 15 लाख रुपए किया है..
*अगले हफ्ते सरकार भेजेगी लेटर*
फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (Farmer Producer Organization) की ग्रांट बांटने में गड़बड़ी से जुड़ी जो शिकायत केंद्र सरकार के पास पहुंची, उसमें कहा गया है कि हरियाणा सरकार के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट (Horticulture Department) के अफसरों ने FPO के नाम पर मंजूर होने वाली ग्रांट किसानों के बैंक खातों में जमा ही नहीं करवाई.. शिकायत में कहा गया कि इस गड़बड़ी से जुड़ी जानकारी हरियाणा सरकार के पास भी पहुंच चुकी है और उसके बाद मुख्यमंत्री के स्तर से करवाई गई CID जांच में भ्रष्टाचार का खुलासा हो चुका है..
केंद्र सरकार से फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (Farmer Producer Organization) के जरिए मिलने वाली ग्रांट में घोटाला उजागर होने के बाद पिछले साल मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हॉर्टिकल्चर विभाग के संबंधित अफसरों के खिलाफ एक्शन लिया था.. सीएम के ऑर्डर (Order) पर विभाग के कुल 10 अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गई.. इनमें से 4 अफसरों को सस्पेंड करने के साथ ही रूल-7 के तहत 4 अफसरों को चार्जशीट कर दिया गया.. रूल-8 के तहत 6 सीनियर अधिकारियों के खिलाफ भी बनती कार्रवाई की गई..
हॉर्टिकल्चर विभाग किसानों को पानी बचाने के लिए ड्रिप इरिगेशन तकनीक से सिंचाई करने के लिए प्रोत्साहित करता है.. इसमें सरकार किसानों को ड्रिप इरिगेशन पर 85% तक अनुदान देती है.. फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन (Farmer Producer Organization) से जुड़ने वाले किसानों को विभाग की साइट पर ऑनलाइन अप्लाई (apply online) करना होता है.. उसके बाद पटवारी से मिली जमीन की रिपोर्ट भी खुद ही अपलोड (Upload) करनी होती है.. किसान की ओर से साइट पर जरूरी डॉक्यूमेंट अपलोड करने के बाद हॉर्टीकल्चर विभाग द्वारा ड्रिप कंपनी के इंजीनियर, दो विभागीय अफसरों और आवेदन करने वाले किसान की एक कमेटी बनाई जाती है..यह कमेटी किसान के आवेदन के अनुसार ग्राउंड पर जाकर मौके का निरीक्षण करती है..
इस कमेटी में रेवेन्यू विभाग के किसी प्रतिनिधि को शामिल नहीं किया जाता.. कमेटी के भौतिक निरीक्षण की रिपोर्ट मिलने के बाद हॉर्टिकल्चर विभाग इसकी सूचना चंडीगढ़ मुख्यालय को भेजता है.. इसी के अधार पर संबंधित किसान के बैंक अकाउंट में ग्रांट की रकम डाल दी जाती है.. केंद्र सरकार को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि इस पूरी प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए हॉर्टिकल्चर विभाग के अफसरों ने ग्रांट की रकम जारी करने में गड़बड़ी की..
TEAM VOICE OF PANIPAT