December 1, 2025
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हरियाणा की सबसे पुरानी शुगर मिल पानीपत में..पढ़िए जो अब होगी बंद

वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा):- हरियाणा की सबसे पुरानी शुगर मिल पानीपत में हैं। इस मिल में पहली बार 1957 में पेराई सत्र शुरू हुआ था। इसी मिल में रेलवे के 350-350 हार्सपावर वाले भाप के इंजन हैं। ये प्रदेश की किसी मिल में नहीं हैं। भले ही पुरानी तकनीक से चलने वाली शुगर मिल अब अगले सत्र से बंद हो जाएगी, लेकिन जाते-जाते भी नया रिकार्ड बना गई है। पेराई सत्र में 33 लाख 25 हजार 760.48 क्विंटल गन्ने की पेराई की। पिछले वर्ष 25 लाख क्विंटल पेराई हुई थी। मौजूदा पेराई पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा है।

इस मिल में 18 हजार प्रतिदिन क्विंटल गन्ने पेराई की क्षमता है। फिर भी 20 हजार क्विंटल से ज्यादा गन्ने की पेराई की गई हैं। 2020-21 सीजन की शुरुआत 3 नवंबर 2020 में की गई थी। इस बार सबसे लंबा सीजन भी चला हैं। 2021-22 सीजन के दो माह इसी शुगर मिल में निकलेंगे। इसके बाद डाहर गांव के पास बन रही शुगर मिल में भी ट्रायल शुरू हो जाएगा। नई तकनीक की मशीनें लगाई गई है।

शुगर मिल में लगे रेलवे के 350 हार्सपावर के दो रेलवे इंजन पूरी मिल को कंट्रोल करते हैं। इन दोनों इंजन के भाप से प्रेशर बनता है और इसके बाद टरबाइन चलती है। यह इंजन रेलवे द्वारा रिटायर्ड होने के बाद पानीपत शुगर मिल को दे दिए थे। इसके बाद मिल में इन दोनों इंजन का प्रयोग प्रेशर को बनाए रखने के लिए किया जाता है। बाकी मिलों में भाप बनाने के लिए बायलर लगाए जाते है।

1956 में मिल बनकर तैयार हो गई थी। फिर पहली बार 1957 में ट्रायल के तौर पर गन्ने की पेराई सत्र शुरू हुआ। प्रदेश की अन्य शुगर मिल की बात करें तो इस मिल में सबसे पुरानी मशीनें मौजूद हैं। सबसे कम ही ब्रेकडाउन हुई है। पेराई सत्र 2020-21 में एक बार भी मिल ब्रेकडाउन नहीं हुई। बिना रुके ही चलती रही। इस मिल में सोनीपत व करनाल जैसे जिलों के भी गन्ने की पेराई हुई हैं।

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