December 6, 2025
Voice Of Panipat
Uncategorized

नहीं निकला कल की वार्ता का कोई हल, 8 जनवरी को फिर होगी सरकार-किसान नेताओं के बीच बातचीत

वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)

कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच सोमवार की वार्ता हुई। जिसका कोई पॉजिटिव असर नहीं निकल पाया।पहले की तरह किसान सातवें दौर की इस वार्ता में कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े रहे। वे इससे कम या किसी और तरीके को मानने को राजी नहीं। हालांकि दोनों पक्ष फिर वार्ता के लिए राजी हो गए हैं। आठ जनवरी को विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे के बाद आठवें दौर की वार्ता  की बात का समाचार से ज्यादा कोई समाचार कल की मीटिंग से नही निकल पाया।

 वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार और किसान नेताओं के बीच किसी समाधान पर पहुंचने की उत्सुकता है ताकि आंदोलन खत्म हो सके। आंदोलन खत्म करने के लिए सब सकारात्मक हल चाहते हैं। हालांकि सोमवार को वार्ता शुरू होने से पहले की रोड़ा अटकाने वाले तत्वों का असर दिख रहा था। जहां सरकार कानून सम्मत प्रावधानों पर एक-कर चर्चा करना चाह रही थी, वहीं किसान संगठनों ने इससे साफ मना कर दिया। बाधा पैदा करने वालों ने बातचीत समाप्त होने से पहले ही विज्ञान भवन से बाहर लिखित बयान जारी कर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी।

बता दें कि 30 दिसंबर को हुई वार्ता से सकारात्मक संकेत मिले थे। उस दौरान किसान संगठनों की दो प्रमुख मांगों पर सहमति बनी थी। किसान नेताओं ने कहा कि उनकी मांगें माने जाने तक आंदोलन जारी रहेगा। पहले से घोषित रणनीति पर आगे बढ़ेंगे। किसान नेता किसी भी तरह पीछे नहीं हटेंगे।

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि सरकार ने कानून बनाते समय देश के किसानों के समग्र हितों को ध्यान में रखा है। चर्चा के विभिन्न कानूनी पहलुओं और करोड़ों किसानों के हितों का ध्यान रखने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। इसलिए पूरे देश को ध्यान में रखकर कोई निर्णय किया जाएगा। तोमर ने कहा, ‘किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि सुधार कानूनों से संबंधित मुद्दों पर अन्य राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी बात की जाएगी। कानूनों के एतराज वाले प्रावधानों पर ¨बदुवार चर्चा करके यथासंभव संशोधन करने के लिए राजी हैं।’ वार्ता के दौरान देश के अन्य किसान संगठनों से बातचीत का सरकार का प्रस्ताव आंदोलनकारी किसान नेताओं को रास नहीं आया है।

वहीं कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसान आंदोलन में बार-बार निशाने पर आने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने साफ किया है कि उसकी कॉरपोरेट या कांट्रैक्ट फार्मिग में उतरने की कोई योजना नहीं है।

VOICE OF PANIPAT

Related posts

Panipat:- तहसीलदार का रीडर रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार, ACB ने ट्रैप लगाकर पकड़ा

Voice of Panipat

आज से महंगा हुआ रसोई गैस सिलिंडर, चुकानी होगी इतनी ज्यादा कीमत

Voice of Panipat

Informal consultation on prioritization of candidate vaccines agents for use in novel coronavirus 2019 infection

Voice of Panipat