वारस ऑफ पानीपत (शालू मौर्य):- बरसात के मौसम में वैसे तो हर कोई आलस्य से भरा होता है……लेकिन ज्यादातर महिलाओं को इस दौरान कम इम्युनिटी का अनुभव होता है, जिसके चलते उन्हें कई तरह की हेल्थ इशूज का सामना करना पड़ता है…..इन्हीं में से एक UTI की समस्या है, जिसे (urinary tract infection)भी कहते हैं……इस दौरान बेक्टीरिया मूत्र प्रणाली के साथ-साथ योनि तक फैल जाते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है…… मानसून सीजन में हर तरफ नमी का प्रभाव रहता है, जिससे यीस्ट संक्रमण सहित बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन के होने का खतरा रहता है….. इस मौसम में सांस लेने लायक सूती अंडरवियर का इस्तेमाल करें, टाइट-फिटिंग कपड़ों को पहनने से बचें और गीले कपड़ों को तुरंत बदल दें…
मानसून सीजन में हर तरफ नमी का प्रभाव रहता है…. जिससे यीस्ट संक्रमण सहित बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन के होने का खतरा रहता है…. इस मौसम में सांस लेने लायक सूती अंडरवियर का इस्तेमाल करें, टाइट-फिटिंग कपड़ों को पहनने से बचें और गीले कपड़ों को तुरंत बदल दें….पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें, जिससे शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालते रहें…. यूटीआई और यीस्ट इंफेक्शन के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है…..मानसून के दौरान डिहाइड्रेशन की संभावना भी काफी बढ़ जाती है, जिससे पेशाब में जलन की समस्या भी हो सकती है। यह भी यूटीआई का एक लक्षण है…..
योनि पर कठोर कठोर साबुन या किसी अन्य प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने से बचें, इससे उनका नेचुरल पीएच बैलेंस बिगड़ सकता है और इरिटेशन की समस्या हो सकती है…….इसलिए जेंटल और फ्रेग्रेंस फ्री प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें….. अगर दर्द, असुविधा, खुजली, या असामान्य डिस्चार्ज का अनुभव हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इसके अलावा छोटी-मोटी समस्याओं को अधिक गंभीर स्वास्थ्य चिंताओं में बदलने से रोकने के लिए समय पर डॉक्टर से मिलना जरूरी है…. यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) से बचाने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करें। इससे भी यूटीआई और यीस्ट इंफेक्शन के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है…… यौन अनुभव के बाद अपने प्राइवेट पार्ट्स को जरूर साफ करें……
TEAM VOICE OF PANIPAT