वायस ऑफ पानीपत (देवेंद्र शर्मा)- हरियाणा के पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्रविधानों के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने कहा है कि वह चुनाव कराने को तैयार है। लिहाजा हाई कोर्ट इसके लिए इजाजत दे। हाई कोर्ट ने सरकार की इस अर्जी पर याचिकाकर्ताओं को अपना पक्ष रखे जाने के लिए 11 अक्टूबर का समय दिया है। तब तक राज्य में पंचायत चुनाव नहीं हो पाएंगे। याचिका दायर करने वालों का पक्ष आने के बाद हाई कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगा कि राज्य में पंचायत चुनाव कब होते हैं।
हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब दायर करते हुए कहा है कि 23 फरवरी को ही पंचायतों का कार्यकाल ख़त्म हो चुका है। पंचायती राज एक्ट के दूसरे संशोधन के कुछ प्रविधानों को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में 13 याचिकाएं दायर की गई हैं। पहले कोरोना के कहर के चलते सरकार ने यह चुनाव नहीं कराने की बात की थी। अब हालात बेहतर हो चुके हैं, बावजूद इसके अभी सरकार ने चुनाव को लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं की है। सरकार दो फेस में यह चुनाव करवा सकती है। पहले फेस में ग्राम पंचायत और दूसरे फेस में पंचायत समिति और जिला परिषद् के चुनाव कराए जाने का प्रस्ताव है। लिहाजा हाई कोर्ट अब इन चुनावों को कराने की इजाजत दे। बता दें कि दैनिक जागरण समाचार पत्र ने पहले ही यह संभावना जता दी थी कि हरियाणा सरकार दो चरण में पंचायत चुनाव करा सकती है। हालांकि बाद में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने इस प्रस्ताव पर असमंजस जाहिर कर दिया था, लेकिन हरियाणा सरकार द्वारा कोर्ट में दो चरण में चुनाव कराने की बात कहने पर दैनिक जागरण की खबर पर मुहर लगी है।
जस्टिस जसवंत सिंह एवं जस्टिस संत प्रकाश की खंडपीठ ने सरकार की इस अर्जी पर याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं ने राज्य के पंचायत विभाग द्वारा 15 अप्रैल को अधिसूचित हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 2020 को भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक बताते हुए रद किए जाने की हाई कोर्ट से मांग की हुई है। हाई कोर्ट को बताया जा चुका है कि इस संशोधन के तहत की गई नोटिफिकेशन के तहत पंचायती राज में आठ प्रतिशत सीटें बीसी-ए वर्ग के लिए आरक्षित की गई है और यह तय किया गया है कि न्यूनतम सीटें दो से कम नहीं होनी चाहिए।
TEAM VOICE OF PANIPAT