वायस ऑफ पानीपत (शालू मौर्या):- लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रमुख और हर्षोल्लास से भरा त्यौहार है, जिसे मकर संक्रांति से एक दिन पहले, मुख्यतः पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली में मनाया जाता है.. यह त्यौहार फसल कटाई और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का प्रतीक है.. लोहड़ी विशेष रूप से रबी की फसल, विशेषकर गेहूं और सरसों की फसल से जुड़ा हुआ है.. हिंदू कैलेण्डर के अनुसार, लोहड़ी का त्योहार हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व मनाया जाता है.. सूर्य देव 14 जनवरी 2025 की सुबह मकर राशि में प्रवेश करेंगे.. साल 2025 में लोहड़ी 13, सोमवार जनवरी को और मकर संक्रांति 14 जनवरी, मंगलवार को मनाई जाएगी..
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का त्यौहार नई फसल की खुशी में और सूर्य के उत्तरायण होने की शुरुआत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.. यह सर्दियों की विदाई और वसंत के स्वागत का संकेत देता है.. इस दिन आग जलाकर उसके चारों ओर लोग गीत गाते और नृत्य करते हैं..
लोहड़ी पर किसकी करें पूजा ?
लोहड़ी के दिन श्रीकृष्ण और अग्निदेव की पूजा करनी चाहिए.. शाम को श्रीकृष्ण की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित कर फुल माला पहनाएं तिलक करें, शुद्ध घी का दीपक लगाएं।
– इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा करें और अंत में भोग लगाकर आरती करें। श्रीकृष्ण की पूजा के बाद फिर अग्नि जलाएं और इसमें तिल, सूखा नारियल आदि चीजें डालें।
– इसके बाद अग्नि की 7 परिक्रमा करें। लोहड़ी पर श्रीकृष्ण और अग्निदेव की पूजा से लाइफ में खुशहाली बनी रहती है और परेशानी दूर होने लगती हैं।
TEAM VOICE OF PANIPAT